एक नेक और ईमानदार जिलाधिकारी का मधेपुरा से जाना

राकेश सिंह/०९ अप्रैल २०१२
निवर्तमान जिलाधिकारी मिन्हाज आलम का मधेपुरा में कार्यकाल भले ही चौदह महीने का संक्षिप्त हो, पर इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि उन्होंने इस अल्पकाल में ही मधेपुरा के लोगों का दिल जीत लिया.आज जिलाधिकारी से प्रभार देने के बाद उन्होंने अपने संक्षिप्त भाषण में इन चौदह महीनों में अपने काम और प्रयास का हिसाब-किताब देने का प्रयास किया.उन्होंने बताया फरवरी २०११ के यहाँ पदस्थापन के बाद ट्रेनिंग आदि में कुछ समय बीत गए.पिछले अक्टूबर के बाद से उन्होंने जिले के विकास को गति देने का प्रयास किया.लोगों के बीच जाकर उनकी समस्या को सुनना और उन्हें सुलझाने का प्रयास करना उन्हें बहुत से अनुभव दे गया.शिक्षा, स्वास्थ्य ,कोसी पुनर्वास जैसे काम कठिन थे,पर हमने यहाँ के अधिकारियों और लोगों के सहयोग से हमने विकास कार्यों को आगे बढाने का काम किया.उन्होंने यह भी कहा कि मधेपुरा सबसे अधिक चुनौती वाली जगह थी.मधेपुरा के मीडियाकर्मियों को भी उन्होंने खूब सराहा.
     उनके सुधारों के प्रयास कि बात यदि मैं उनके साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कहूँ तो एक मीडियाकर्मी की हैसियत से जब भी मैंने किसी समस्या की ओर उनका ध्यान दिलाया, उन्होंने बड़ी संजीदगी से उन्हें हल करने का प्रयास किया.जनता दरबार में उनके द्वारा किये गए त्वरित कार्यवाही को हमेशा ही सराहा जा सकता है.
       निवर्तमान जिलाधिकारी मिन्हाज आलम अब भागलपुर के कमिश्नर में प्रोन्नत होकर जा रहे हैं जो यह बताता है कि उनकी नेक और ईमानदार छवि उन्हें हमेशा ऊँचाई पर ले जायेगी.पर जहाँ तक मधेपुरा के विकास को पटरी पर लाने में उनके योगदान की बात है तो ये कहा जा सकता है कि अभी उन्हें मधेपुरा में और रहने दिया जाता तो निश्चित ही जिले का विकास द्रुतगति से हो पाता.जो भी हो, एक नेक और ईमानदार पदाधिकारी के यहाँ से जाने की कमी मधेपुरा के लोगों को निश्चित ही खल रही होगी.
सुनें  निवर्तमान जिलाधिकारी ने प्रभार देने के बाद क्या कहा, यहाँ क्लिक करें.
एक नेक और ईमानदार जिलाधिकारी का मधेपुरा से जाना एक नेक और ईमानदार जिलाधिकारी का मधेपुरा से जाना Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 09, 2012 Rating: 5

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