हिन्दू विवाह में सात फेरे क्यूं ?

कहते हैं शादी बनारस का लड्डू है, जो खाया वो भी पछताया और जो खाया वो भी पछताया. जो भी हो हिन्दू समाज में अक्सर लोग इस लड्डू को खा कर ही पछताते हैं, यानि शादी प्राय: सभी करते हैं और आज की अरेंज मैरेज में सभी विधि-विधान का भी कमोबेश वो पालन अंधाधुंध करते हैं. यहाँ  'अंधाधुंध' शब्द का प्रयोग कर मैं सिर्फ ये कहना चाहती हूँ कि विधि-विधान का अनुसरण तो लोग करते हैं, पर बहुत कम ही ये जानते हैं कि विवाह के दौरान प्रयोग किये गए प्रत्येक 'वैवाहिक प्रतीक चिन्ह' के पीछे भी कोई कोई अर्थ होता है. जैसे विवाह में सात फेरों को ही लें. अधिकाँश लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि विवाह में पति-पत्नी एक साथ सात फेरे लेते हैं, पर ये कम ही लोग जानते हैं कि सात ही फेरे क्यों और इन सातों फेरों के पीछे कौन से अर्थ छिपे होते हैं? हिन्दू विवाह में सात फेरों का कुछ ख़ास ही महत्व है. सात बार वर-वधू साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर फौजी सैनिकों की तरह आगे बढ़ते हैं. रीतियों के अनुसार सात चावल की ढेरी या कलावा बँधे हुए सकोरे रख दिये जाते हैं, इन लक्ष्य-चिह्नों को पैर लगाते हुए दोनों एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं, रुक जाते हैं और फिर अगला कदम बढ़ाते हैं. इस प्रकार सात कदम बढ़ाये जाते हैं. प्रत्येक कदम के साथ एक-एक मन्त्र बोला जाता है. पर हमारे समाज में पंडितों को नियमों की अपुष्ट जानकारी होने के कारण उनके द्वारा सात फेरे अलग-अलग तरहों से कराये जाते हैं, पर एक बात तो होती ही है और वो है - सात फेरे.
            आइये बताते हैं कि हिन्दू विवाह में सात फेरे ही क्यों लिए जाते हैं. सात फेरों में पहला कदम अन्न के लिए उठाया जाता है, दूसरा बल के लिए, तीसरा धन के लिए, चौथा सुख के लिए, पाँचवाँ परिवार के लिए, छठवाँ ऋतुचर्या के लिए और सातवाँ मित्रता के लिए उठाया जाता है. मतलब यह कि पति-पत्नी के रिश्तों में ईश्वर को साक्षी मानकर दोनों प्रण करते हैं कि एक दूसरे के लिए अन्न संग्रह, धन संग्रह करेंगे और मित्रता स्थापित करते हुए एक-दूजे की ताकत बनेंगे. ऋतुचर्या का पालन करते हुए सिर्फ एक-दूसरे को सुख देने का प्रयास करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के परिवार को भी सुखी रखने के लिए हमेशा प्रयासरत रहेंगे.
           हालांकि शादी के दौरान जाने-अनजाने तो सभी सात फेरे लगा लेते हैं, पर यदि आपसी तालमेल बिठाने में पति-पत्नी सफल हो सके तो सात फेरे लेने के बावजूद सात जनम तक साथ रहने की बात तो दूर,सात कदम भी साथ चलना पति-पत्नी के लिए दूभर हो जाता है.




 --साक्षी, मधेपुरा 

हिन्दू विवाह में सात फेरे क्यूं ? हिन्दू विवाह में सात फेरे क्यूं ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 13, 2012 Rating: 5

3 comments:

  1. THK 4 SHARE
    GREAT SHAKCHI JEE... :)

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  2. शादी बनारस का लड्डू है....?

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