रूद्र ना० यादव/१३ जनवरी २०१२
मधेपुरा के मंडल कार में बंद है एक अर्धविक्षिप्त कैदी.जानकर भी अनजान बने हुए हैं अधिकारीगण.सदर अस्पताल में जब इलाज के लिए मनोज पोद्दार को लाया गया तब इस बात का खुलासा हुआ कि ये कैदी अर्धविक्षिप्त है.पर एक दिन के इलाज के बाद इसे फिर जेल में ही ठूंस दिया गया.मुरलीगंज का मनोज पोद्दार पर एक बच्चे को पटक-पटक कर मार देने का आरोप है और इसी आरोप में वह दो सालों से जेल में बंद है.बताया जाता है कि मनोज पहले से ही पागल था,जेल आने के बाद यह और भी भी अधिक पागलों की तरह करने लगा है.पागल कैदी को पता नहीं है कि उसका इलाज कहाँ चल रहा है.मधेपुरा टाइम्स के द्वारा कुछ भी पूछने पर वह ‘तिहाड़’ शब्द का उच्चारण करता है.
प्रशासन की सबसे बड़ी लापरवाही यहाँ देखने को मिल रही है.एक पागल कैदी को जे में रखने और इसका समुचित इलाज नहीं करने से इसकी जान भी जा सकती है और ये सख्स दूसरे की जान भी ले सकता है.जेल प्रशासन को चाहिए कि नियम-कानून की जाल में फंसे इस व्यक्ति का इलाज जल्द से जल्द किसी मानसिक चिकित्सालय में करावे,वर्ना कभी भी किसी अनिष्ट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.
पागल कैदी को भी रखा है मधेपुरा जेल में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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January 13, 2012
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