जाते है
लोगो के वो ज़जबात बदल
जाते है।
कोई करता है किसी के
जवाब का इंतजार,
किसी के लिए वो सवालात
बदल जाते है।
हम तो होते हर दिन एक से
जाने क्योँ वो हर रात बदल
जाते है।
हम तो दिल से करते है
“दोस्ती”
उनके तो हर दिन दोस्त

बदल जाते है।
हम तो खड़े हैँ वही आज भी
उनके इंतजार मेँ।
जाने क्योँ उनके रास्ते हर
बार बदल जाते है।
हमने किया किसी से प्यार
“इतना”
जिससे कुछ लोगोँ के हाव
भाव बदल जाते है।
क्या कहूँ इससे ज्यादा,
वक्त के साथ इंसान बदल
जाते है।
मिट तो जाते हम भी किसी
के प्यार मेँ
किसी को देखकर मेरे
ख्यालात बदल जाते है।
ज़िँदगी तो एक पहेली है,
रोज कई सवाल उठते है
जब तक जवाब मिलता है
तब तक इसके वो सवालात
बदल जाते है।
--प्रतीक प्रीतम, मधेपुरा 
“वक्त के साथ”
 Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
        on 
        
December 22, 2011
 
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wah bhai pratik ....mujhe nahi pata tha aap itne achhe kavita likhte hai...nic dear...
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