जिले में कम्प्यूटर शिक्षा बना मजाक,सड़ रहे करोड़ों के कम्प्यूटर

रूद्र ना० यादव/१० नवंबर २०११
आज जहाँ जिंदगी के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर के ज्ञान की आवश्यकता पड़ रही है और जहाँ कम्पूटर के बिना छात्रों को एक भी कदम आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही है,वहीँ मधेपुरा जिले में अधिकारियों की घोर लापरवाही ने कम्प्यूटर शिक्षा का हश्र काफी बुरा कर रखा है.कम्प्यूटर शिक्षा के प्रति इस लापरवाही ने जहाँ जिले के छात्रों को सरकारी शिक्षा से वंचित कर रखा है वहीं इनका ये कदम जिले को विकास के पथ पर पीछे धकेल रखा है.
      जिला मुख्यालय स्थित रासबिहारी हाई स्कूल में जिला कम्प्यूटर सोसाइटी केन्द्र की करीब दस वर्ष पूर्व स्थापना के पीछे बिहार सरकार की मंशा साफ़ थी.राज्य को कम्प्यूटर के क्षेत्र में आगे बढ़ाना था तो प्रत्येक जिले में इस तरह के सरकारी कम्प्यूटर शिक्षा केन्द्र की स्थापना करना जरूरी था.पर शायद सरकार को ये पता नहीं था कि शिक्षा माफिया का गढ़ रहे मधेपुरा जिले में कम्प्यूटर शिक्षा को भी तमाशा बनाने में यहाँ के अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.सरकार के द्वारा ५० कम्प्यूटर यूपीएस के साथ इस मंशा के साथ भेजा गया था कि यहाँ जिले भर के सरकारी स्कूलों के छात्रों का दाखिला लिया जाएगा और बैच बनाकर उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाया जाएगा ताकि वे कम्प्यूटर के क्षेत्र में भी जिले का नाम रौशन कर सकें.पर इस कम्प्यूटर शिक्षा से सम्बंधित जिले अधिकारियों ने सरकार की मंशा और आदेश को तवज्जो नहीं दी.इन्हें क्षेत्र के बच्चों के विकास होने की बात रास नही आई,चूंकि ये उनके अपने बच्चों के विकास से सम्बंधित नहीं था.दोषी अधिकारियों के बच्चे तो अच्छे संस्थानों में पढ़ ही रहे हैं,इन गरीब के बच्चों को कौन देखे.सरकार द्वारा लगभग दस साल पहले भेजे सारे कम्प्यूटर लापरवाही के कारण पड़े ही रह गए और अब बिना मरम्मत के ये चलने लायक भी नहीं रहे.
       कम्प्यूटर के इस युग में करोड़ों के कम्प्यूटर का ये हश्र शिक्षा के लिए जिले में सबसे जवाबदेह अधिकारी जिला शिक्षा अधीक्षक की नाक के नीचे होता रहा.रासबिहारी स्कूल का ये केन्द्र जिला शिक्षा अधीक्षक के कार्यालय से महज चंद कदम की दूरी पर है.रासबिहारी हाई स्कूल के हेडमास्टर ने तो हद ही कर दी.अपने स्कूल के भवन में रखे इन कम्प्यूटरों को बीच-बीच में चलवाने की भी जरूरत नहीं समझी,जिससे कम से कम ये खराब होने से बच सके.जिले के एनआईसी (नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर) भी करोड़ों के कम्प्यूटर को बर्बाद करने के लिए बराबर का जिम्मेवार है.ये विभाग भी यहाँ सोया रहा और इनके परिचालन में कोई रुचि नहीं दिखाई, जबकि उसे ही सारा मेंटेनेंस करना था और इस शिक्षा में सहभागिता निभानी थी. एनआईसी के डीआईओ इस जिला कम्प्यूटर सोसाइटी के सचिव होते हैं और जिलाधिकारी इसके अध्यक्ष. पर हैरत की बात तो ये है कि इस केन्द्र की स्थापना के बाद से कई जिलाधिकारी मधेपुरा में आये,पर उन्हें इस केन्द्र की जानकारी भी नहीं दी गयी.निचले अधिकारियों की मनमानी का शिकार बने इस जिला कम्प्यूटर सोसाइटी केन्द्र की बदहाली पर जब वर्तमान जिलाधिकारी मिन्हाज आलम से पूछा गया तो उन्होंने जल्द ही एनआईसी की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाकर इस केन्द्र को जिन्दा कर कम्प्यूटर शिक्षा को जिले में बढ़ावा देने की बात कही.
   मधेपुरा के विधायक प्रो० चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को उठाने के लिए सबसे पहले मधेपुरा टाइम्स को बधाई दी और कहा कि वे इस गंभीर मसले को विधानसभा में उठाएंगे और दोषी अधिकारियों को दण्डित करवाने हेतु भी पहल करेंगे.
   देखा जाय तो करोड़ों के कम्प्यूटर को सड़ाने का ये मामला कम गंभीर नहीं है और इसमें दोषी लोग जो खुद अधिकारी वर्ग से आते हैं, कम्प्यूटर शिक्षा के प्रति उनकी उदासीनता बिहार सरकार की मंशा पर पानी फेरने जैसा कृत्य है.निश्चित रूप से ऐसे अधिकारियों को दण्डित किया जाना चाहिए ताकि क्षेत्र के गरीब छात्रों के भविष्य के साथ फिर कोई खिलवाड़ न हो सके.हम ये भी आशा करते हैं कि मधेपुरा टाइम्स की पहल के बाद जल्द ही ये केन्द्र जिले के छात्रों को कम्प्यूटर शिक्षा देने की पहल करेगा.
जिले में कम्प्यूटर शिक्षा बना मजाक,सड़ रहे करोड़ों के कम्प्यूटर जिले में कम्प्यूटर शिक्षा बना मजाक,सड़ रहे करोड़ों के कम्प्यूटर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 10, 2011 Rating: 5

2 comments:

  1. देख कर दुःख होता है की पैसे की किस तरह बरबादी हो रही है और खास कर इन कंप्यूटर का जिसकी शिक्षा आज जरुरी है.

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  2. क्षेत्रों में बहुमुखी विकास के लिए सरकार के द्वारा ससमय योजनायें बनती हैं परन्तु जहाँ से जमीनी सुविधाएँ प्राप्त होनी हैं वे पदाधिकारी ही भ्रष्ट होते हैं /वे उन सुविधाओं से लोगों को वंचित रखने में ही अपनी भलाई समझते हैं /अगर बिहार की बात करें तो बिहार में भी विकास के लिए सरकार के तरफ से काफी कुछ किया जाता रहा है पर उदासीन पदाधिकारियों की वजह से लोग सदा वंचित रह जाते हैं /ये पदाधिकारी एजेंटों के माध्यम से या कभी कभी खुद अपनी जेब गर्म करने की फ़िराक में रहते हैं /बाकी सरकारी संपत्तियों या योजनाओं का क्या हो रहा है इसे देखने वाला कोई नहीं होता /अभी कुछ दिनों पहले जिला समाहरणालय के कर्मियों ने भ्रस्टाचार से खुद को दूर रखने की शपथ खाई थी पर क्या हो रहा है ये सभी जानते हैं /पदाधिकारी तब जबाबदेह हो जाते हैं जब उनके अधीनस्थ कर्मी अपना कार्य ईमानदारी पूर्वक नहीं कर रहे होते हैं /पदाधिकारी की उदासीनता ही एक मात्र कारण होता है जब उनके अधीनस्थ कर्मी बिना घूस के किसी भी कार्य को करने के लिए तैयार ही नहीं होते /पदाधिकारी का दायित्व है की वे कर्मचारियों के पास लम्वित पड़े फाइलों का अवलोकन करें तथा उनसे अनुपालन या सम्बद्ध कार्य नहीं हो पाने का स्पस्टीकरण पूछे /मै मधेपुरा टाइम्स से अनुरोध करना चाहूँगा कि जिला भविष्य निधि कार्यालय में हो रहे कारनामो की ओर पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करें ,जहाँ सम्बद्ध कर्मचारी अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे /( आवश्यकता होने पर मै मामला मधेपुरा टाइम्स के समक्ष रखूँगा )

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