अतिक्रमण हटाओ मामला:पब्लिक बनाम प्रशासन

इसी जेसीबी का हुआ प्रयोग
लोगों को ससमझाते एसडीओ
राकेश सिंह/२३ अक्टूबर २०११
अवैध अतिक्रमण को हटाने पर राज्य सरकार तो गंभीर है ही,पटना उच्च न्यायालय ने भी कई मौके पर सरकार को इसमें ढिलाई बरतने पर फटकार लगाई है.यह सच है कि मधेपुरा में मुख्यमार्ग समेत कई जगह अतिक्रमण की चपेट में हैं.यह भी सच है कि सड़क के बगल में अस्थायी दुकान लगाये अधिकाँश लोग गरीब तबके से ताल्लुकात रखते हैं और इनके पास या तो दुकानों के लिए जगह नहीं है या फिर इनकी सामर्थ्य इतनी नहीं कि ये दुकान भाड़े पर ले सके.पर शहर के सौन्दर्यीकरण के साथ यहाँ जाम की समस्या को हटाने के लिए अतिक्रमण हटाने की आवश्यकता तो महसूस होती ही है.

मधेपुरा टाइम्स से बात करते एसडीओ
डीएसपी को भी घेरा लोगों ने
   प्रसाशन ने आज मधेपुरा की सड़कों पर से अतिक्रमण हटाने में कई गलतियाँ की है.पहली कि इन दुकानदारों को चौबीस घंटे पहले लाउडस्पीकर से सूचित करना चाहिए था,जो इस दफे नहीं किया गया.कच्चे और बिल्कुल अस्थायी रूप से बने छोटे दुकानों को जेसीबी मशीन से तोड़ दिया गया.दुकानदारों को अपना सामान तक उठाने का मौका नहीं मिला जिससे कई दुकानदार बर्बाद हो गए.दंडाधिकारी भी इस काम के लिए नियुक्त थे,जिन्हें बाद में खदेड़ दिया गया.कुछ अस्थायी दुकान जैसे मूर्तियों,पूजा सामग्री और पटाखों, नारियल जैसे फल की दुकान सिर्फ धनतेरस-दिवाली-छठ तक के लिए लगाई जाती है जो आम लोगों के लिए उपयोगी है.पर ऐसे दुकान भी प्रशासन के अभियान की भेंट चढ गए.लोगों ने मधेपुरा के सिविल एसडीओ संजय कुमार निराला के खिलाफ जम कर नारेबाजी की.उनका यहाँ तक कहना था कि गोपाल मीणा जैसे ईमानदार एसडीओ ने भी इतना निर्दय कदम नही उठाया था.
    मधेपुरा टाइम्स ने इस मामले पर सिविल एसडीओ संजय कुमार निराला से बात की.एसडीओ का कहना था कि बीस दिन पहले भी इन्हें हटाया गया था पर ये फिर आ गए.ऐसी स्थिति में नोटिस का सवाल कहाँ हैं? इन्होने आगे कहा कि जेसीबी मशीन पक्के कंस्ट्रक्शन को हटाने के लिए उपयोग में लाया जाता है.जबकि आज की कार्यवाही में जेसीबी का प्रयोग सिर्फ सड़क के बगल के अस्थायी और कच्चे
कंस्ट्रक्शन को हटाने के लिए किया गया था.मुआवजे की बात पर एसडीओ कहते हैं कि अतिक्रमण के मामले में मुआवजा की बात कहाँ से उठती है.(देखें:वीडियो).यहाँ एक बात सामने आती है कि जिस बीस दिन पहले की बात एसडीओ साहब कर रहे हैं,उस समय कोई बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाने की कोई कार्यवाही नहीं हुई थी,जिससे लोग यह स्पष्ट रूप से समझ पाते कि प्रशासन अचानक पर्व के समय में भी इतना बड़ा रूख अख्तियार कर सकती है.
   पर बाद में प्रदर्शनकारियों का भी व्यवहार अच्छा नही कहा जा सकता है.कुछ हद तक क़ानून को अपने हाथ में लेकर इन्होने जिस तरह किया वो राह चलते आम आदमी को परेशानी में डालने वाला था.सड़क जाम करना और प्रशासन को गंदी गालियाँ बकना इनमे से बहुतों की असभ्यता दर्शाता है.अतिक्रमण करने को जायज नहीं ठहराया जा सकता है,ऐसे में इन्हें प्रशासन से सिर्फ विनती करने का अधिकार होना चाहिए न कि तोड़-फोड़ और गलियों की छूट.
   जो भी हो,प्रशासन ने फिलहाल फिर से लोगों को छठ तक दुकान लगाने की अनुमति दे दी है, और दीपावली का मार्केट फिर से सजता हुआ नजर आने लगा है.
अतिक्रमण हटाओ मामला:पब्लिक बनाम प्रशासन अतिक्रमण हटाओ मामला:पब्लिक बनाम प्रशासन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 23, 2011 Rating: 5

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