इन्टरनेट बन रहा अफवाह का सबसे बड़ा केन्द्र: राष्ट्रगान को भी नहीं छोड़ा

किसी भी तकनीक का प्रचलन जब भी बढ़ता है तो उससे जुड़ी कई खामियां भी हम पर असर करने लगती है. इंटरनेट की तकनीक ने जिस प्रकार लोगों में अपनी पैठ बना ली, इसमें भी खामियां आनी स्वाभाविक थी.पर जिस तरह से बिना ठोस जानकारी लिए इसका प्रयोग बढ़ने लगा. जानकार इसे समाज के लिए बड़ा खतरा मान कर ही चल रहे थे.बढ़ते प्रयोग ने जहाँ कई नए सायबर अपराध को भी जन्म दिया,वहीं हाल के दिनों में इंटरनेट विभिन्न प्रकार के अफवाह फैलाने के लिए भी बदनाम रहा है.
    २०११ में इंटरनेट के सबसे बड़े अफवाह में से एक था यूनेस्को ने भारत के राष्ट्रगान जन-गन-मन को बेस्ट एन्थम यानी सबसे अच्छा राष्ट्रगान चुना है.इस अफवाह ने भारत के कुछ लोगों को एक झूठा सुखद एहसास तो दे दिया,पर ये वाकई एक खतरनाक ट्रेंड को बढ़ावा देना है.एक अन्य अफवाह उड़ी कि भारत सरकार ने कहा है कि यदि २५ लाख लोगों ने समर्थन कर दिया तो वे जनलोकपाल पारित कर देंगे,इसलिए इस नंबर पर मिस्ड कॉल करें. दरअसल फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग साईट ने जहाँ बहुत सी अच्छी बातों पर  लोगों को मोटिवेट करने काम किया है वहीं इन्होने इंटरनेट पर तरह-तरह के अफवाह को भी तेजी से फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई है. वहीं यूनेस्को के आधिकारिक वेबसाईट (www.unesco.org) पर जन-गन-मन को सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान चुनने से सम्बंधित कोई रिपोर्ट नहीं नजर आती है.दूसरी तरफ सभी स्तरीय प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी ऐसी अफवाहों से दूरी ही बनाये रखी.
      यहाँ एक सोचने वाली बात ये भी है कि यूनेस्को के महत्वपूर्ण कार्यों में इस तरह के कार्य शायद ही आते हैं.यूनेस्को जैसी अतिप्रतिष्ठित संस्था किसी देश के राष्ट्रगान को सर्वश्रेष्ठ घोषित तथा दूसरे देशों के राष्ट्रगान की ग्रेडिंग कर अपने को कभी विवाद में धकेलना नहीं चाहेगी.जो भी हो, भारतीय होने के नाते राष्ट्रगान का सम्मान तो हमें करना ही चाहिए.
  इंटरनेट की गहराई में यदि जाया जाय तो अरबों फल-फूल रहे वेबसाइटों पर अपलोड किये गए सामग्री की सत्यता को परखना काफी कठिन है.इंटरनेट पर जगह खरीदा या मुफ्त में लिया और जिसको जो मन हुआ लिख डाला.और ऐसे में पढ़े-लिखे लोगों का भी ये मानना कि ये सूचना नेट पर है,तो सही ही होगी, हमें दिग्भ्रमित कर सकती है. इंटरनेट की ऐसी जानकारियों को यदि सामान्य ज्ञान मानकर लोग बच्चों को भी बताने लगते हैं,जो उन्हें उपहास का पात्र बना सकती है.ऐसे में आवश्यकता है कि इंटरनेट की महत्वपूर्ण सूचनाओं का क्रॉस वेरीफिकेशन करने के बाद ही इस पर विश्वास करें.
राकेश सिंह/१० सितम्बर २०११
इन्टरनेट बन रहा अफवाह का सबसे बड़ा केन्द्र: राष्ट्रगान को भी नहीं छोड़ा इन्टरनेट बन रहा अफवाह का सबसे बड़ा केन्द्र: राष्ट्रगान को भी नहीं छोड़ा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 10, 2011 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.