चीन में बाथरूम बना सेक्स शिक्षा की पहली पाठशाला

भारत में जहाँ सेक्स शिक्षा को अभी भी एक वर्जित विषय माना जाता है,जबकि सर्वे की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि देश में सेक्स के प्रति रुझान अत्यधिक है और गांव से लेकर महानगर तक युवक-युवतियां अब सेक्स संबंधों को कुछ ज्यादा ही तरजीह देने लगे हैं.पर इस मामले में चीन की सरकार ने तमाम विरोधों को नजरअंदाज करते हुए वहां पहली   कक्षा से ही सेक्स एजुकेशन लागू कर दिया है और अब वहां के लोगों ने इस पर विवाद बंद कर दिया है कि सेक्स शिक्षा होनी चाहिए या नहीं? अब यदि वहां विवाद है तो सिर्फ इस बात का कि सेक्स के बारे अमुक बातें सिलेबस में होनी चाहिए या नहीं?हाल में जब निचली कक्षाओं की किताबों में सेक्स से जुड़ी कुछ नयी तस्वीरें डाली गयी तो थोड़ा विवाद यह कहकर हुआ कि ये तस्वीरें अश्लीलता की श्रेणी में आती हैं.पर बताते हैं कि चीन में पिछले साल से बच्चों के लिए लागू टॉयलेट टूर का प्रयोग काफी सफल हो रहा है.इस प्रयोग में तीसरी कक्षा के छात्र-छात्राओं को दूसरे के बाथरूम में झाँकने की इजाजत दे दी गयी ताकि उनकी जिज्ञासा कम हो सके और परिणाम भी अच्छे निकले. टॉयलेट टूर के कार्यक्रम से सेक्स के प्रति छात्र-छात्राओं की जिज्ञासा पहले की तुलना में बहुत हद तक शांत हुई.चीन में पहली कक्षा में सेक्स शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को जन्म से जुड़ी प्रक्रिया बताई जाती हैं.
   शंघाई एकेडमी ऑफ एजुकेशनल साइंस के द्वारा किये गए सर्वे के नतीजे के अनुसार चीन में व्यावसायिक पाठ्यक्रम पढ़ने वाले हाई स्कूल के छात्रों में से ३२.४०% छात्र-छात्रा बिना सेक्स शिक्षा के कम से कम एक बार सेक्स कर चुके हैं और गत पांच वर्षों में सिर्फ बीजिंग में साधे तीन हजार लड़कियां गर्भपात करवा चुकी हैं.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
चीन में बाथरूम बना सेक्स शिक्षा की पहली पाठशाला चीन में बाथरूम बना सेक्स शिक्षा की पहली पाठशाला Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 12, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. मुझे लगता है कि बिहार में सेक्स शिक्षा की कोई जरुरत नहीं है ,यहाँ के बच्चे इस मामले में दुनिया के गुरु साबित होंगे /बिहार ही नहीं पूरे भारत में सेक्स शिक्षा की दरकार नहीं है ,वो इसलिए कि शुद्ध देशी भारतीय सेक्स ऐसे ही पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा चुकी है /विदेशों कि नक़ल हमें नहीं करनी चाहिए ,हमारी सभ्यता और संस्कृति विदेशो से काफी पवित्र है /हमारे यहाँ जब रशोई घर को झांकना बुरा माना जाता है ,तो शौचालय हुलकने कि तो बात ...........छिः ------- ये शिक्षा है या छिछोरापन /अब कोई बच्चा जाकर अपनी माँ को शौचालय में देखे कि वो क्या कर रही है या अभी कैसी दिखती है तो इसे आप शिक्षा कहेंगे ? नहीं चाहिए हमें ऐसी शिक्षा //

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