रूद्र ना० यादव/१२ सितम्बर २०११
विभिन्न आरोपों में मधेपुरा कारा में बंद कैदियों की न्यायालय में पेशी के दौरान खूब खातिर की जाती है.और ये खातिर करने वाले इन्हें सुरक्षा देने वाले पुलिस ही हैं.पुलिस की इस कमजोरी का फायदा अपराधी आराम से उठा सकते हैं.सूत्र बताते हैं कि जो जितना बड़ा और धनवान अपराधी है ये पुलिस वाले उसकी उतनी खातिरदारी करते नजर आते हैं.कारण स्पष्ट प्रतीत होता है.ये कैदी इस एवज में पुलिस वालों को पैसा तो देते ही हैं,उनके विभिन्न कामों को कराने का भी आश्वासन देते हैं.हालत ये है कि कई पुलिस वाले भी अपना काम करवाने के लिए अपराधी पर ही निर्भर हो जाते हैं.न्यायालय पेशी के दौरान तथाकथित वीआईपी कैदी अकेले एक सिपाही के साथ निकलना पसंद करते हैं.फिर ये घूमते-फिरते और खाते-पीते घंटों बाद न्यायालय के हाजत में वापस जाते हैं.देखा जाय तो वर्तमान हालत में न्यायालय की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है.पहले गेट पर सैप के जवान रहते थे,पर वर्तमान में गेट पर न्यायालय की सुरक्षा करते एक होमगार्ड का जवान भी नजर नही आता है.न्यायालय में पेशी के दौरान पूर्व में भी अपराधियों के भागने की घटना हो चुकी है.पर हाजत की सुरक्षा में लगे और कैदियों को न्यायालय में पेशी करने वाले इन सिपाहियों को मामले कि गंभीरता का अंदाजा शायद तब होता है जब इनमे से कोई अपराधी भाग निकलता है.न्यायालय परिसर में चाय और नाश्ते की दुकान पर पुलिस और कैदी को साथ-साथ नाश्ता करते देख शायद ही किसी को कोई आश्चर्य हो.
कुल मिलाकर देखा जाय तो मधेपुरा में न्यायालय की सुरक्षा तो भगवान भरोसे है ही, इन कैदियों के साथ भी पुलिस का दोस्ताना रवैया एक बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है.
आरोपियों की खातिरदारी हो सकता है खतरनाक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 12, 2011
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