नशे की गिरफ्त में आ रहे मधेपुरा के युवा व बच्चे

यहाँ होता है दम मारो दम
राकेश सिंह|१२ अगस्त २०११
मधेपुरा के युवाओं में नशे का क्रेज दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है.क्रेज इतना कि अब स्कूली बच्चे भी इसकी जद में आ रहे है.सिगरेट व जर्दा वाले पाउच तो आम बात हैं,भांग गांजा व शराब का सेवन भी अधिकतर युवाओं की पसंद बन गयी है.स्कूली बच्चे और कुछ युवाओं ने तो नशे की ऐसी-ऐसी सामग्रियों का ईजाद कर लिया है कि अगर इनके अभिभावकों को ये बातें पता चले तो उनके पाँव तले जमीन खिसक जायेगी.अभिभावक सोच भी नहीं सकते कि इनके बच्चे ह्वाईटनर,इरेजर,कफ सीरफ,थिनर,सुलेशन और बोनफिक्स, आयोडेक्स जैसी चीजें भी नशे के लिए प्रयोग कर रहे हैं जो घर के लोगों की नज़रों से आसानी से बच जाते हैं.इनमे से कुछ चीजें सूंघने के काम में आती हैं.नशे की आदत से मधेपुरा के कुछ युवा इतने मजबूर हो चुके हैं कि वे अब नशे की सूई तक लेने लगे हैं.ये दवाइयों की दूकान से मार्फिन, टेडिजोसिक, फोट्रीन, कैलमपोज व पैक्सम के अलावा लारजेक्टिल खरीद कर इसे नशे के रूप में उपयोग में ला रहे हैं. माना जाता है कि इन दवाईयों का प्रयोग वे ही करते हैं जिनपर हेरोईन भी अपना असर नहीं दिखा पाती है.
    नशे का इंजेक्शन लेने के लिए इन युवाओं ने शहर में कई महफूज जगह खोज रखा है.इनमे से आजकल सबसे महफूज पुरानी कचहरी का एक कोना है जहाँ अभी भी ढेर सारे सिरिंज व नशे की दवा की खाली सीसी देखी जा सकती है.शाम ढलते ही युवा ग्रुप में बारी-बारी से यहाँ पहुँचते हैं और फिर दूसरी दुनियां में पहुँच जाते हैं.हैरत की बात तो यह है कि पुलिस प्रशासन का ख़ुफ़िया तंत्र क्या कर रहा है?क्या इन युवाओं को मौत के मुंह से बचाना प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं बनती है.दवा दुकानदार भी मुनाफे के लोभ से आँख मूंदे हैं,जबकि ड्रग्स के नियम के अनुसार इन दवाइयों को बिना प्रेस्क्रिप्शन के नहीं बेचा जा सकता है.यहाँ आवश्यकता है अभिभावकों, प्रशासन तथा समाज को आगे आने की, जिससे देश का भविष्य माने जाने वाले इन गुमराह युवाओं को सही रास्ते पर लाया जा सके.
नशे की गिरफ्त में आ रहे मधेपुरा के युवा व बच्चे नशे की गिरफ्त में आ रहे मधेपुरा के युवा व बच्चे Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 12, 2011 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.