कुसहा त्रासदी की तीसरी बरसी आज:अभी भी दिखता है तबाही का मंजर

 रूद्र ना० यादव/१८ अगस्त २०११
कुसहा त्रासदी को आज तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं.१८ अगस्त २००८ को करीब दो बजे बाँध टूटा था और मात्र २० मीटर क्षतिग्रस्त बाँध कुछ ही घंटे में टूटकर डेढ़ किलोमीटर हो गया था.पूर्वी कोसी तटबंध के १२.८० किमी स्पर पर इस त्रासदी को याद दिलाने वाला बाँध कुसहा गाँव के नजदीक था.इस तबाही ने पांच जिले के करीब एक हजार गाँव के ३३ लाख लोगों को प्रभावित कर दिया था.सरकारी तौर पर ५२७ लोगों के मरने की पुष्टि हुई थी और करीब ३.६८ लाख हेक्टेयर जमीन बर्बाद हो चुके थे.इस तबाही का आलम ये है कि तीन वर्ष बाद भी क्षतिग्रस्त हैं बहुत सी सड़कें,खेत आदि और लोग सिहर उठते हैं १८ अगस्त का नाम सुनकर.पीडितों को मिलने वाली मुआवजे की बड़ी राशि का बंदरबांट कर लिया गया था और अनुदान और पुनर्वास के लिए अभी भी तरस रहे हैं हजारों लोग. कोसी के पीड़ित लोगों के जख्म आज भी हरे हैं और हजारों लोग राहत की राशि और सामान को डकार कर करोड़पति बन चुके हैं.
     बाँध टूटने के लिए बहुत से लोग राज्य सरकार को दोषी मानती है.और इस बात को बल मिलता है इसकी जाँच के के लिए गठित राजेश वालिया आयोग की धीमी रफ़्तार को देखकर.इस आयोग को तीन महीने में ही अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी,पर ये आयोग अब तक खामोश बैठी है,जबकि इसने अपने ऊपर करीब नब्बे लाख खर्च करा लिए हैं.कॉंग्रेस नेता सूरज यादव समेत मधेपुरा के कई लोगों ने मांग की है कि इस नकारा सरकारी आयोग को अब भंग कर दिया जाय और कुसहा त्रासदी की जांच सीबीआई से कराई जाय, ताकि सच सबके सामने आ सके.
  कुसहा त्रासदी की तीसरी बरसी पर मधेपुरा टाइम्स परिवार पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती है.
कुसहा त्रासदी की तीसरी बरसी आज:अभी भी दिखता है तबाही का मंजर कुसहा त्रासदी की तीसरी बरसी आज:अभी भी दिखता है तबाही का मंजर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 18, 2011 Rating: 5

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