सरकारी लोकपाल का उद्देश्य भ्रष्टाचार को और बढ़ाना है !

राकेश सिंह/३१ जुलाई २०११
लोकपाल के मामले पर लगता है कि भारत की जागरूक जनता को केन्द्र सरकार और अधिक कमजोर बनाने की साजिश कर रही है.सिविल सोसाइटी के जन लोकपाल की जगह सरकार द्वारा बनाये जा रहे लोकपाल का कोई मतलब नहीं रह जाता है,बल्कि ये भ्रष्टाचार को और बढ़ावा ही देगा.केन्द्र की सरकार तो सिर्फ ये प्रचार कर रही है कि इसके दायरे से प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को बाहर रखा गया है,पर मसौदे का गहन अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके दायरे से सिर्फ प्रधानमंत्री और न्यायपालिका ही बाहर नहीं है बल्कि लगभग उन सारे क्षेत्रों को भी बाहर रखा गया है जहाँ सबसे अधिक भ्रष्टाचार व्याप्त है.मसलन मनरेगा, राशन दुकान, स्कूल, अस्पताल, सड़क, बिजली आदि-आदि.मालूम हो कि ये वैसे क्षेत्र हैं,जिनमे व्याप्त भ्रष्टाचार से लोग सबसे ज्यादा पीड़ित हैं,और कुछ ही लोग, जो सरकार से जुड़े हैं,मालामाल हो रहे हैं.यानि जनता की गाढ़ी कमाई को खाने-पीने के इंतजाम पर कोई रोक इस लोकपाल में नहीं लगाया गया है.एक तरह से इस लोकपाल में यह छूट दे दी गयी है कि इन क्षेत्रों से जुड़े लोग भ्रष्टाचार की दलदल में अब पहले से ज्यादा उतर सकते हैं, क्योंकि उनपर इस लोकपाल में कोई लगाम नही लगाया गया है.
   इस लोकपाल में सबसे गंदी बात ये है कि किसी भ्रष्टाचारी के विरूद्ध आरोप लगाने वाले शिकायतकर्ता को ही सारे सबूत जुटाने होंगे और अगर शिकायतकर्ता पर्याप्त साक्ष्य नहीं जुटा पाया तो उसे ही दो साल के लिए जेल जाना पड़ सकता है.इसका मतलब साफ़ है कि कोई भी व्यक्ति इन भ्रष्टाचारियों के विरूद्ध आवाज उठाने से पहले सौ बार सोचेगा,क्योंकि भ्रष्ट लोग सबूत के साथ छेड़छाड़ कर उलटे शिकायतकर्ता को ही फंसा सकते हैं.
   इन बातों से साफ़ है कि पहले तो केन्द्र की भ्रष्ट कॉंग्रेस सरकार ने कालाधन के मुद्दे पर बाबा रामदेव की आवाज जबरन दबा दी,और फिर कालाधन के मुद्दे पर स्विट्जरलैंड की सरकार से एक अनुबंध किया जिसके अनुसार अब स्विस बैंक के पुराने भ्रष्टों के खाते का विवरण नहीं लिया जा सकेगा (पढ़ें:मतलब कि कालाधन कभी वापस नही आएगा!).और अब अन्ना के अनशन पर ये कह कर कि हमने लोकपाल तो बना दिया,सरकार ने देश की जनता को मूर्ख बनाने का प्रयास किया है.१६ अगस्त से अन्ना हजारे के प्रस्तावित अनशन से पहले उन इलाकों में धारा १४४ लगा देना यह तय करता है कि भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूबी केन्द्र सरकार चाहती है कि देश में अँधेरा कायम रहे.ऐसे में बात सीधी है, यदि हम सचमुच देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना चाहते हैं तो हम सबको इसके विरोध में आगे आना होगा.
सरकारी लोकपाल का उद्देश्य भ्रष्टाचार को और बढ़ाना है ! सरकारी लोकपाल का उद्देश्य भ्रष्टाचार को और बढ़ाना है ! Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 31, 2011 Rating: 5

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