विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह ०१ अगस्त से ०७ अगस्त तक मनाया जा रहा है.इंडियन अकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के कोसी डिवीजन ने इस अवसर पर स्तनपान को बढ़ावा देने के उद्येश्य से जिला मुख्यालय के कला भवन में एक सेमिनार का आयोजन किया.सेमिनार का उद्घाटन तथा इसकी अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री अमलेन्दु कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्वलित कर की.इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में जिला पदाधिकारी श्री मिन्हाज आलम,विशिष्ट अतिथि आरक्षी अधीक्षक वरुण कुमार सिन्हा उपस्थित थे.
कार्यक्रम को प्रारम्भ करते हुए डा० शान्ति यादव ने कहा कि माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान है.आज कृत्रिम दूध की जबरदस्त मार्केटिंग की जा रही है और लड़कियों को लगता है कि स्तनपान से उनका फिटनेस खराब हो जाएगा, जो सर्वथा गलत है.डा० अरूण कुमार मंडल ने माँ के दूध के आवश्यक तत्वों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम में भाग ले रही आशा कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि वे स्तनपान को प्रोत्साहित करने हेतु गाँव-गाँव इसका प्रचार-प्रसार
करें और माताओं को इसके लाभ से परिचय करावें. यूनिसेफ के सुमित कुमार ने बताया कि जन्म के पहली बार स्तनपान करने से बच्चे में इम्यून सिस्टम विकसित होता है और स्तन से निकला पहला गाढ़ा दूध (कोलोस्ट्रम) पहले टीके के समान काम करता है.उन्होंने यह आंकड़ा दिया कि बिहार में जन्म के एक घंटे बाद सिर्फ ३.७%महिलाएं ही स्तनपान कराती हैं,जो बहुत ही कम है.

डा० सचिदानंद यादव ने तो यहाँ तक कहा कि जो लड़कियां अपने बच्चों को स्तनपान नहीं कराती हैं, उन्हें माँ कहलाने का हक नही है.अब तो दूध पिलाने के लिए माताएं आयातित हो रही हैं.अपना दूध नही पिलाने से माँ कलंकित होगी, और बच्चा वफादार नही हो सकता.शिशु रोग विशेषग्य डा० डी० पी० गुप्ता ने तो यहाँ तक कहा कि डब्बा का दूध पिलाने से बच्चे का दिमाग डब्बे जैसा होगा और बोतल में दूध पिलाया तो वह बड़ा होकर बोतल खोजेगा. स्तन में दूध नही होना पूरी तरह सायकोलोजिकल है,जो माताएं इसके लिए तैयार नही रहती है,उसी के साथ ऐसी समस्या आती है.वहीं डा० एस० के० झा ने कहा कि माँ का दूध बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है.स्तन के आकार से दूध पर कोई असर नहीं पड़ता है.स्तन छोटा हो,बड़ा हो चाहे धंसा हुआ हो,माँ बच्चे को दूध पिला सकती है.
इस अवसर पर जिलाधिकारी श्री मिन्हाज आलम ने कहा कि आज के दौर में जॉब कि वजह से भी महिलाएं फीडिंग नही करा पाती हैं.डब्बे का दूध पेट भरने के लिए है,उसमे कोई फायदा नही है.इस सप्ताह में सभी माओं तक स्तनपान के महत्त्व की बात पहुंचाई जानी चाहिए.वहीं जिला
न्यायाधीश ने एक बड़ी बात कही कि जिस ग्रामीण महिला को पेट भर खाना नही मिलता है उसके शरीर में न्यूट्रीशन होता होगा इस पर सोचने की जरूरत है और चिकित्सकों को चाहिए कि ग्रामीण महिलाओं को कुछ विशेष आहार के बारे में बतावें जिससे पहले उनका सही पोषण हो सके.सिविल सर्जन को चाहिए कि आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिलाओं को टॉनिक भी भिजवाने की व्यवस्था करें.कार्यक्रम के सम्बन्ध में जिला न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम यदि शहर की बजाय देहात में हो तो इसका ज्यादा लाभ मिल सकता है.
न्यायाधीश ने एक बड़ी बात कही कि जिस ग्रामीण महिला को पेट भर खाना नही मिलता है उसके शरीर में न्यूट्रीशन होता होगा इस पर सोचने की जरूरत है और चिकित्सकों को चाहिए कि ग्रामीण महिलाओं को कुछ विशेष आहार के बारे में बतावें जिससे पहले उनका सही पोषण हो सके.सिविल सर्जन को चाहिए कि आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिलाओं को टॉनिक भी भिजवाने की व्यवस्था करें.कार्यक्रम के सम्बन्ध में जिला न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम यदि शहर की बजाय देहात में हो तो इसका ज्यादा लाभ मिल सकता है.
कुल मिलकर यह कार्यक्रम लोगों को बहुत सी जानकारियां दे गया.
स्तनपान पर सेमिनार में दी गयी कई बातों की जानकारियां
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 31, 2011
Rating:

No comments: