सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना: सोनी राज

मधेपुरा में सोनी राज का नाम आज किसी परिचय का मुहताज नही है. मात्र चौदह साल की उम्र में कराटे के क्षेत्र में बड़ी-बड़ी सफलताएं हासिल कर मधेपुरा का नाम देश और दुनियां में करने वाली सोनी ने हाल ही में हिंदुस्तान की युवा नारी, बदलाव की कहानी, में जब पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया तो देश भर के लोगों ने सोनी के संघर्ष को सराहा.
पर दिल्ली में इस प्रथम पुरस्कार को पाने के बाद सोनी ने जिस उदारता का परिचय दिया, उसे करने में बड़ों-बड़ों को सोचना पड़ेगा.सोनी ने मंच पर ही अत्यंत गरीबी में संघर्ष कर तीसरा स्थान प्राप्त रोहिणी, नई दिल्ली की सीमा राय को असली विजेता बताया और पाई हुई पच्चीस हजार रूपये की इनाम की राशि भी उसे ही दे दी.
    मधेपुरा टाइम्स के कार्यालय में प्रबंध संपादक से हुई लंबी बातचीत में सोनी ने बदलते बिहार में अपने संघर्ष और उपलब्धियों की पूरी कहानी सुनाई.वर्ष २००९ ने सोनी की जिंदगी तब बदल दी जब राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में पढ़ रही सोनी ने सरकार द्वारा नियुक्त प्रशिक्षक से कराटे सीखा.वैसे तो ये प्रशिक्षण मधेपुरा के सारे स्कूल के छात्रों को
दिया गया था, पर पूरे जिला से अगले प्रशिक्षण के लिए सिर्फ सोनी को ही चुना गया था.तबसे सोनी ने मुड़कर पीछे नही देखा.जब भारत से कुल आठ कराटे चैम्पियन को सेकेण्ड वीमेन कराटे टूर्नामेंट, कोलम्बो, श्रीलंका 2010 के लिए चुना गया तो ये मधेपुरा के किसी खिलाड़ी के लिए शायद सबसे बड़ी बात थी. और वहां भी १९ जनवरी २०१० को सोनी ने अपने प्रदर्शन से पूरी दुनियाँ के खिलाड़ियों के बीच अपनी पहचान बना ली. जमशेदपुर में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में भी सोनी अपने लाजवाब प्रदर्शन से जानी गयी.१० अक्टूबर २०१० में इंडोनेशिया में आयोजित वर्ल्ड टूर्नामेंट में, जहाँ ८८ देशों के २२९५ कराटे चैम्पियन ने भाग लिया था, जब सोनी ने अपना प्रदर्शन दिखाया तो इंडोनेशिया के अखबारों में भी जम कर सोनी की चर्चा हुई.ऑल बिहार

चैम्पियनशिप २०१० में फाईट सेक्शन में जब सोनी ने स्वर्णपदक हासिल कर लिया तो बिहार के चैम्पियनों ने भी सोनी राज का लोहा मान लिया.ब्राउन II बेल्ट हासिल कर चुकी सोनी को अविश्वसनीय सफलता के आधार पर ब्लैक बेल्ट देने की अनुशंसा भी की जा चुकी है, पर सोनी कहती है मैं सफलता नहीं बल्कि प्रशिक्षण के आधार पर ब्लैक बेल्ट लेना चाहूंगी, चाहे इसमें कुछ और वक्त क्यूं न लग जाए.
   व्यवहार न्यायालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी विनोद कुमार ने सोनी के पिता होने का फर्ज खूब निभाया.बेटी के आसमान की बुलंदियों को छूने का सपनों को पिता का हमेशा सहयोग मिला. अपनी छोटी से तनख्वाह में गुजर-बसर करने वाले पिता ने बेटी को आगे बढाने में कोई कसर बाक़ी नही
रखी.सोनी भी अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, प्रशिक्षकों और टीचर्स को देती है.आर्मी में कर्नल बनने का सपना देखने वाली सोनी चाहती है कि मधेपुरा में उसके जैसी हजारों लड़कियाँ हों.लड़कियाँ आगे बढे, ये सोनी का एक सपना है और इसके लिए सोनी ने अब मधेपुरा में लड़कियों को कराटे का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है.
        सोनी कहती है यदि कोई भी व्यक्ति लक्ष्य निर्धारित कर ईमानदारी से मिहनत करे तो सफलता निश्चित है.वे आगे कहती है कि किसी मनुष्य की जिंदगी में सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना.सपने सबको देखने का हक है पर हाँ, सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर मिहनत बहुत जरूरी होता है.इस प्रश्न पर कि क्या कराटे की चैम्पियन होने के कारण उसकी सहेलियां उससे डरती है, सोनी मुस्कुरा कर कहती है मुझे जब गुस्सा में देखती है तो कोई कुछ बोलता नही.
सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना: सोनी राज सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना: सोनी राज Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 10, 2011 Rating: 5

4 comments:

  1. Avinash, MadhepuraSunday, 10 July, 2011

    Congrats ! Sony.

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  2. सपने हकीकत की बुनियाद होते हैं , बुनियाद ख़त्म तो ईमारत कैसी !

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  3. luck usi ko sath deta hai
    jisko jitne ki jajba hoti hai.

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  4. Congrats soni..keep rocking.u r doing the great work for our madhepura..all the best for ur bright future..

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