कायाकल्प होगा पुलिस चौकियों का: एसपी

रूद्र नारायण यादव/२४ जून २०११
जानकार और सुनकर आपको आश्चर्य होगा कि जिला बनने से पूर्व बने मधेपुरा के दर्जन भर महत्वपूर्ण पुलिस चौकी गुमनामी की फ़ाइल में दबी हुई है.जिले में तो ये चौकीयां लोगों को दीखती जरूर है, लेकिन विभागीय स्तर पर सरकार के पास इनकी कोई सूची नही है.नतीजतन जिले में पुलिस पदाधिकारी और कर्मियों की भारी कमी है जिसके चलते विधि-व्यवस्था बनाए रखने में परेशानी भी उच्चाधिकारियों को झेलनी पड़ती है.बता दें कि ये चौकी एसपी द्वारा स्थापित तो कर दिए गए लेकिन
सरकार के पास अनुमोदन के लिए नही भेजे जाने के कारण ये सरकार की नजर में गुमनाम हैं. अगर ये सरकार से अनुमोदित होते तो उस आधार पर अधिकारी और पुलिस कर्मी भी नियुक्त किये जाते, लेकिन सरकार की नजर में नही रहने के कारण इन चौकियों के मुताबिक़ अधिकारी और कर्मी नहीं दिए जाते हैं.जिसके कारण जिले में पुलिस बल की भारी कमी है क्योंकि सरकार की नजर में जो थाने व पुलिस चौकी अनुशंसित हैं उन्ही के अधिकारी और कर्मियों को ही ऐसे गुमनाम पुलिस चौकी में भी पदस्थापित किये जाते हैं.एसपी वरुण कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार से अनुमोदन के लिए सभी पुलिस चौकियों की सूची एवं उसके मुताबिक़ पुलिस अधिकारी व कर्मी की नियुक्ति हेतु मांग पत्र भी सरकार को भेजी जा रही है.अगर सरकार द्वारा इन पुलिस चौकियों को अनुमोदित कर दिया जाता है और पुलिस अधिकारी व कर्मी प्रतिनियुक्त कर दिए जाते हैं तो निश्चित रूप से इन पुलिस चौकियों का भी कायाकल्प हो जाएगा.
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