कम दर पर मजदूरी: पापी पेट का सवाल है

सुकेश राणा/०२ जून २०११
श्रम संसाधन विभाग की सक्रियता के बावजूद जिले के असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों को उनका वाजिब मेहनताना नही मिल पा रहा है.आलम यह है कि ठीकेदारी प्रथा के चंगुल में फंसे दैनिक मजदूर एकाध मामलों को छोड़कर राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के द्वारा तय मजदूरी से कम पर काम करने को विवश हैं.
दर पर एक नजर: राज्य के श्रम संसाधन विभाग ने मजदूरी के बावत पिछले वर्ष ०१ अक्टूबर २०१० को असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए
न्यूनतम मजदूरी तय कर दी थी जिसमे अकुशल मजदूरों के लिए ११९ रूपये, अर्धकुशल के लिए १२३ रू० कुसल के लिए १५१ रू० तथा अतिकुशल के लिए १८४ रू० प्रतिदिन के हिसाब से तय किया
था.लिपीकीय व् पर्यवेक्षी के लिए ३४१३ रू० प्रतिमाह निर्धारित है.कृषि नियोजन
के क्षेत्र में कटनी कार्य को छोड़कर अन्य कार्य के लिए ११४ रू० प्रतिदिन, ट्रैक्टर ड्राइवर व ट्रैक्टर खलासी के लिए ४०९९ रू० प्रतिमाह तथा चौकीदार व सिपाही के लिए ३१९० रू० प्रतिमाह निर्धारित है.घरेलू कामगार के लिए २८३७ रू० प्रतिमाह निर्धारित है.ईंट निर्माण एवं चिमनी भट्ठा में कार्यरत मजदूर जो ईंट पठाई करते हैं, उसके लिए १७५ रू० प्रति हजार, ईंट चढाने व उतारने के लिए ११९ रू० प्रति हजार, मिस्त्री के लिए ३७३३ रू० तथा मुंशी को ३७३४ रू० प्रतिमाह निर्धारित है. वहीं मिट्टी काटने के प्रति ९० घनफीट मुलायम मिट्टी के लिए ११९ रू०, कड़ी मिटी के लिए प्रति ७५ घनफीट के भी ११९ रू०, अत्यंत कड़ी मिट्टी के लिए भी प्रति ६० घनफीट ११९ रू० निर्धारित है.सरकार ने महिला कामगारों के लिए १५ प्रतिशत कम मिट्टी काटने के प्रावधान के साथ सामान मजदूरी देने का भी प्रावधान किया है.
  सरकार द्वारा नियम बना देने के बावजूद भी कम मजदूरी देने का सिलसिला मधेपुरा सहित पूरे बिहार में जारी है.सिंघेश्वर प्रखंड के श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी प्रफुल्ल कुमार दास ने बताया कि शिकायत मिलने पर हमलोग कार्यवाही भी करते हैं, साथ ही १४ वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कार्य करवाना हमलोग काफी गंभीर से लेते है.यह एक दंडनीय अपराध भी है.पर इस नियम के दूसरे पहलू को यदि देखें तो हमें पता चलेगा कि मजदूरी कर मुश्किल से पेट भरने वाले ये मजदूर इस डर से शिकायत नही करते हैं कि शिकायत होने पर फिर उन्हें काम मिलने में परेशानी हो जायेगी.
कम दर पर मजदूरी: पापी पेट का सवाल है कम दर पर मजदूरी: पापी पेट का सवाल है Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 02, 2011 Rating: 5

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