कल महाशिवरात्रि है और श्रद्धालुओं का उत्साह सिंघेश्वर मंदिर के प्रति अभी से चरम पर दिख रहा है.कल संध्या ४ बजे बाबा भोले की बारात भी मंदिर परिसर से निकलेगी और कल ही सिंघेश्वर मेला का उदघाटन ११ बजे दिन में होना है.पर लगता है इस बार श्रद्धालुओं को कुछ खास वजहों से खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.और होने वाली इन खासी
परेशानी के पीछे जिम्मेवार है जिला प्रशासन और सिंघेश्वर मंदिर न्यास समिति.
परेशानी के पीछे जिम्मेवार है जिला प्रशासन और सिंघेश्वर मंदिर न्यास समिति.
पहली वजह है मंदिर परिसर में बने शिवगंगा तालाब,जिससे बहुत से श्रद्धालु जल लेकर शिवलिंग पर चढाते हैं.करीब दो साल पहले इस तालाब के अगल-बगल के हिस्से को सौन्दर्यीकरण के नाम पर तुड़वा कर अस्त-व्यस्त कर दिया गया.अभी भी इसका कार्य पूर्ण नही किया गया है और ये श्रद्धालुओं की भीड़ के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.(पढ़ें:शिवगंगा बना मौत और परेशानी का तालाब)


पर इस बार एक वजह इससे भी बड़ी स्पष्ट दिख रही है और वो है मंदिर परिसर में आवारा कुत्तों का जमावड़ा.और कुत्ते भी ऐसे जिनमे भय और झिझक बिलकुल नहीं दीख पड़ता.इन कुत्तों के आत्मविश्वास को देखकर लगता है जैसे ये कुत्ते नहीं शेर हों.ये अक्सर श्रद्धालुओं के मार्ग पर निर्भीक खड़े या फिर चलते-भागते रहते हैं और कभी-कभी श्रद्धालुओं के शरीर से टकरा भी जाते हैं,जिससे बहुत से श्रद्धालु को फिर से स्नान करना या हाथ-पैर धोना पड़ता है.वे कहते हैं कि कुत्तों के बीच से गुजरने या टकरा जाने से मन खिन्न हो जाता है.कभी-कभी तो ये कुत्ते लोगों को देखकर गुर्राते भी हैं.ऐसे में इसमें कोई आश्चर्य की बात नही होगी,जब ये किसी को काट भी लें. यहाँ सबसे अधिक दु:ख इस बात का है कि मंदिर का ट्रस्ट इन कुत्तों के प्रति पूरी तरह से लापरवाह है और इन आवारा कुत्तों को यहाँ से निकालने की कोई कोशिश नही की जा रही है.और ट्रस्ट से भी चार कदम आगे मंदिर के पंडे हैं.पंडा उदय झा व अन्य का मानना है कि ये कुत्ते भगवान शंकर की सवारी 'भैरव' हैं.अब आस्था इतनी कि आवारा कुत्ते भी भैरव नजर आने लगे,ऐसे में हमें कुछ नहीं कहना.
मंदिर परिसर में आवारा कुत्तों का जमावड़ा:ट्रस्ट लापरवाह
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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March 01, 2011
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March 01, 2011
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