रविवार विशेष- कविता- प्यारा पोषाहार

प्यारा पोषाहार 

स्कूली बच्चों ने लगाई,
गुरुजी   से    गुहार.
हड़पते क्यों हैं, गुरुवर ?
हमारा  प्यारा पोषाहार.
       दाँत पीसकर ज्ञानदाता ने 
       लगाई   उन्हें   फटकार .
       करता रहूँ पोषण तुम्हारा,
       खुद  रहकर   निराहार ?
भूख की आंच में झुलस रहा है,
हमारा अपना  कुल परिवार.
भुगतान से अब आँखें चुराती,
है  हमारी  प्यारी  सरकार.
                          --पी०बिहारी 'बेधड़क'
रविवार विशेष- कविता- प्यारा पोषाहार रविवार विशेष- कविता- प्यारा पोषाहार Reviewed by Rakesh Singh on October 17, 2010 Rating: 5

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