रविवार विशेष-कविता-इंटरनेटी भिखारी

इंटरनेटी भीखमंगी का
बढ़ रहा नित शोर|
हो रहा है हाईटेक,
आधुनिक हरामखोर||
आधुनिक हरामखोर,
करते खूब कमाई|
छल-छद्म  से दोहन कर ,
खाते मुफ्त मलाई||
कह 'बेधड़क' कविराय,
मिलेगी जब तक भीख|
नहीं मिलेगी कामचोरों को,
कर्मठता की सीख||
      --पी०बिहारी'बेधड़क'
रविवार विशेष-कविता-इंटरनेटी भिखारी रविवार विशेष-कविता-इंटरनेटी भिखारी Reviewed by Rakesh Singh on October 30, 2010 Rating: 5

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