आज के दिन कथा वाचन कर रहीं देवी राधा किशोरी जी ने भक्तों को गोवर्धन पर्वत की महिमा के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गोवर्धन पर्वत केवल एक पर्वत नहीं है, बल्कि वह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का प्रतीक है। जब इन्द्रदेव के प्रकोप से ब्रजवासियों पर संकट आया, तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी को सुरक्षा प्रदान की। यह लीला केवल एक चमत्कार नहीं, बल्कि यह संदेश है कि भगवान सच्चे भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं।
राधा किशोरी जी ने कहा कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा एवं भक्ति भाव से गोवर्धन पर्वत की पूजा करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। गोवर्धन पूजा का महत्व इतना अधिक है कि इसे दीपावली के अगले दिन अन्नकूट पर्व के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें लोग विविध प्रकार के अन्न का भोग लगाकर भगवान को धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।
कथा के दौरान देवी जी ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, ब्रज की रासलीलाओं तथा भक्त और भगवान के बीच के प्रेम संबंधों का भी वर्णन किया। उन्होंने भक्तों से आह्वान किया कि जीवन में अगर सच्चा सुख चाहिए तो भगवान के नाम का स्मरण करें और अपने कर्मों को शुद्ध बनाएं।
प्रत्येक दिन की तरह आज भी भारी संख्या में श्रद्धालु कथा स्थल पर पहुँचे। कथा स्थल को रंग-बिरंगी लाइटों और पुष्पों से सजाया गया है, जिससे सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय हो गया है। श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की भी व्यवस्था की गई है, जिसमें सभी को प्रेमपूर्वक प्रसाद वितरित किया गया।
कथा आयोजकों ने बताया कि यह धार्मिक आयोजन सात दिनों तक चलेगा और समापन पर हवन यज्ञ, भजन कीर्तन एवं भव्य आरती का आयोजन किया जाएगा।

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