वहीं जिले के डिग्रीधारी रंगकर्मियों ने मांग पत्र सौंप कर बिहार के विद्यालयों में नाटक शिक्षक की बहाली को लेकर मांग किया. दिए गए आवेदन में उन्होंने कहा कि बिहार में हजारों की संख्या में नाट्य एवं रंगमंच की पढ़ाई की है और स्नातक तथा स्नातकोत्तर की डिग्री भी प्राप्त की है. एनसीएफ- 2005 में लोक कलाओं एवं ललित कलाओं के अंतर्गत नाट्य विषय स्वीकृत है तथा एनसीएफ 2009 तथा नई शिक्षा नीति में प्रत्येक शिक्षण संस्थान में नाटक के माध्यम से पढ़ाई पर जोड़ दिया गया है. बिहार के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से नाट्यशास्त्र से स्नातकोत्तर की पढ़ाई होती और हर वर्ष दो दर्जन से अधिक की संख्या में रंगकर्मी डिग्री लेकर बेरोजगारी की जिंदगी जीने को बेबस हैं. जिस प्रकार ललित कला के अंतर्गत आने वाली हर कलाएं जैसे संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला आदि के अभ्यर्थियों को शिक्षक के रूप में बहाल किया जा रहा है, ठीक उसी प्रकार नाट्य एवं रंगमंच विषय को एसटीईटी में शामिल कर रंगकर्मियों को परीक्षा में बैठने का मौका देकर रंगमंच (नाट्यशास्त्र) में डिग्रीधारी छात्र-छात्राओं को शिक्षक के रूप में बहाल करें.
आवेदन देने वालों में सुनीत साना, अमित आनंद, अमित कुमार अंशु, मोहम्मद शहंशाह, दिलखुश कुमार, अक्षय कुमार, विक्की विनायक, राकेश कुमार, राजा कुमार, संकेत कुमार, रौनक कुमार आदि शामिल रहे.
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