अवैध नर्सिंग होम मरीज से तरह-तरह की बीमारी बताकर मोटी रकम की वसूली करते हैं जबकि सरकारी गाइडलाइंस के अनुसार नर्सिंग होम पैथोलॉजी व अल्ट्रासाउंड का रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य है. वहीं निजी अस्पताल में सभी प्रकार का ऑपरेशन भी किया जाता है लेकिन नियम एवं कानून को ताक पर रखकर प्रखंड में झोलाछाप डॉक्टर बग़ैर रजिस्ट्रेशन कराए ही प्राइवेट क्लीनिक चला रहे हैं, जहां पथरी गुर्दा पीत की थैली एवं डिलीवरी आदि का ऑपरेशन किया जाता है। अवैध नर्सिंग होम में दवा भी उपलब्ध रहती है जहां मरीजों को उसके ही द्वारा खोले गए दुकान से दवा उपलब्ध कराई जाती है. जहां दवा दुकान के लाइसेंस पर अस्पताल खोलकर खुले आम मरीजों का इलाज किया जाता है। वहीं गंभीर मरीज का ठीक ढंग से इलाज नहीं होने पर अन्यत्र भेज दिया जाता है।
डिलीवरी करने आई महिलाओं को बेवजह कर दिया जाता है रेफर
अवैध नर्सिंग होम में बेवजह मरीजों को विभिन्न प्रकार का जांच लिख दिया जाता है जिसके बदले जांच घर से कमीशन भी जाती है. किसी भी जांच घर में जांच सूची नहीं लगाई गई है. खून पेशाब आदि की जांच के नाम पर मरीजों से मोटी रकम ली जाती है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इन प्राइवेट क्लिनिको में मरीजों को पहुंचने में अधिकतर बिचौलिया व अस्पताल के ममता एएनएम व अन्य कर्मी 5 से ₹6000 कमीशन लेते हैं. अस्पताल में डिलीवरी करने आई महिला को बेवजह अस्पताल से रेफर कर दिया जाता है. मरीज को अस्पताल के कर्मी सदर अस्पताल भेजने के वजह प्राइवेट अस्पताल भेज कर अपना कमीशन सुनिश्चित कर लेते हैं।
बच्चों की मौत के बाद पीएसी प्रभारी ने लाइफ हेल्थ केयर को दिया था बंद करने का आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं
घैलाढ़ में अवैध निजी नर्सिंग होम संचालक पर नकल कसने के विभागीय दावे हवा हवाई है तरकीवन प्रखंड क्षेत्र में कई निजी नर्सिंग होम का संचालन हो रहा है बीते अगस्त महीने में घैलाढ़ मुख्यालय बाजार में स्थित लाइफ केयर पॉलीक्लिनिक में एक बच्चे की मौत हो गई थी । जिसकी खबर पेपर में प्रमुखता से प्रकाशित की गई थी । जिसको लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर ललन कुमार ने लाइफ केयर पॉलीक्लिनिक नामक एक निजी अस्पताल को चिन्हित करते हुए कार्रवाई के लिए अस्पताल चला रहे संचालक से 7 दिन के अंदर जवाब मांगा था। लेकिन अस्पताल संचालक के द्वारा जवाब के रूप में चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर ललन कुमार को संचालक के द्वारा सबूत के तौर पर क्या दिया गया और क्या कार्रवाई हुई। अभी तक किन्ही को कुछ पता नहीं चला । लेकिन विडमना है कि 11 दिन बाद भी उक्त नर्सिंग होम पूर्व की भांति धरले से संचालित हैं मरीजों का इलाज किया जा रहा है बावजूद किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो रही है।
वहीं पीएचसी प्रभारी डॉक्टर ललन कुमार से पूछे जाने पर बताया कि सात दिन के अंदर जवाब मांगा गया था ।लेकिन अभी तक जवाब नही दिया गया। जल्द कार्रवाई की जाएगी।
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