मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड क्षेत्र के पथराहा गांव निवासी 12 महार रेजीमेंट के शहीद हवलदार पवन कुमार के पार्थिव शरीर को लेकर दानापुर कैंट और कटिहार से सेना के जवान शनिवार को लगभग 5 बजे उनके पैतृक गांव पथराहा पहुंचे.
तिरंगे में लिपटे शहीद के अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. 6 वर्षीय पुत्र आर्यन कुमार ने पिता को मुखाग्नि दी. यह दृश्य देख लोगों की आंखें नम हो गई. पत्नी आशा देवी बेसुध पड़ी थी. बार-बार वह पवन का नाम लेकर बेहोश हो रही थी. चारों बच्चे लोगों की भीड़ को टकटकी निगाहों से देख रहे थे.
अंतिम विदाई देने के लिए जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी एवं सेना के जवान शामिल हुए. सब ने भारत माता की जय एवं शहीद पवन के सर्वोच्च बलिदान के जयकारे लगाए.
एएसपी प्रर्वेंद्र भारती, एसडीपीओ संतोष कुमार, बीडीओ अशोक कुमार, सीओ बन्दना कुमारी, पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर यादव, ओपी अध्यक्ष अबधेश प्रसाद आदि की उपस्थिति में राज्य सरकार की ओर से 11 लाख रुपये का चेक तथा सेना की ओर से 15 लाख रुपये का चेक मृतक जवान पवन के परिजन को दिया गया.
वहीं शहीद पवन कुमार को अंतिम विदाई देने आर्मी के कर्नल सहित जवान भी उनके पथराहा गांव पहुंचे थे. कर्नल के नेतृत्व में सेना के जवान द्वारा शहीद हवलदार के सम्मान में 25 चक्र गोलियों की सलामी दी गई. शहीद को मुखाग्नि दिए जाने के बाद काफी देर तक प्रशासन व जनप्रतिनिधि दाह संस्कार स्थल पर मौजूद रहे.
मौके पर ग्रामीण जनप्रतिनिधि सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे. वे तरह-तरह से शहीद हवलदार पवन कुमार के पिता विंदेश्वरी यादव, भाई हवलदार रामदेव कुमार, पत्नी आशा देवी सहित अन्य परिजनों को ढाढ़स बंधाते दिखे.
पत्नी आशा देवी ने कहा कि उनके पति पवन कुमार देश की रक्षा के लिए अपनी जान दे दी. उन्होंने कहा कि एक दिन पहले ही उनसे बात हुई थी. पवन ने कहा था कि इसी महीने में वह घर आएंगे. उन्होंने कहा कि अब उनके बच्चों का भरण-पोषण कैसे होगा. परिवार में पवन अकेले कमाने वाला था. उनके परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है.
मृतक पवन कुमार के बड़े भाई हवलदार रामदेव कुमार ने कहा कि उनका भाई पवन कुमार जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में 12 महार रेजिमेंट में हवलदार पद पर पोस्टेड था. अप्रैल में वह छुट्टी पर था. ड्यूटी पर जाते समय उन्होंने कहा था कि दो महीने बाद वह छुट्टी पर फिर घर आएंगे. 13 जून को शाम में ड्यूटी पर ही जम्मू कश्मीर के रजौरी जिला के नौशेरा में गस्ती के दौरान वाहन खाई में गिरने से उनकी मौत हो गई. उन्होंने कहा कि मुझे बहुत दुख हो रहा है कि मेरा छोटा भाई शहीद हो गया. उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी दिया जाए और बच्चों की बेहतर पढ़ाई की व्यवस्था की जाए.
उन्होंने कहा कि सेना की नौकरी बहुत ही सम्मान की नौकरी है. देश के लिए शहीद होना बहुत ही फक्र की बात है. उन्होंने पथराहा चौक का नाम शहीद पवन चौक करने की मांग की. उनके भाई ने बताया कि लगभग ढाई साल से पवन नौशेरा में पोस्टेड था. डेढ़ माह पूर्व छुट्टी पर वह घर आया था. इधर, जवान के मौत की जानकारी मिलते ही घर में कोहराम मच गया. पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है.

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