मुरलीगंज स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के दौरान यात्री गिरा, प्लेटफॉर्म नीचे रहने के कारण घटी दुर्घटना.
ट्रेन में चढ़ने के दौरान आए दिन होते रहते हैं हादसे, अब तक 10 से अधिक हो चुकी है दुर्घटना हो चुकी है कई मौत
प्लेटफॉर्म रेल डब्बे के समांतर करने के लिए कई बार दिए गए हैं ज्ञापन
कुंभकर्णी निद्रा में सोया रेल प्रशासन, इस दिशा में नहीं की जा रही अब तक कोई पहल
मुरलीगंज रेलवे स्टेशन पर शनिवार को मुरलीगंज नगर पंचायत क्षेत्र के निजी स्कूल संस्थान के शिक्षक की अपने घर पूर्णिया जाने के लिए मुरलीगंज स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के दौरान पैर फिसल जाने से दाएं जांघ की हड्डी टूट गई।
पूर्णिया निवासी दिलीप कुमार वर्मा का शनिवार की सुबह करीब 11:30 बजे ट्जानकी एक्सप्रेस ट्रेन में चढ़ने के दौरान पैर फिसल गया और वह प्लेटफॉर्म पर गिर गए. इतने में ट्रेन भी खुल गई। यात्री बोगी और प्लेटफॉर्म के बीच उनका पैर फंस गया।
उनके तथा यात्रियों के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर ट्रेन चालक और गार्ड की सूझ बूझ से ट्रेन को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोक लिया गया। जिससे किसी तरह उनकी जान तो बच गई लेकिन वे बुरी तरह चोटिल हो गए। उनके दाएं जांघ की हड्डी टूट गई तथा बायां पैर सहित पूरे शरीर में खरोंचे आ गई। स्टेशन से उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मुरलीगंज लाया गया जहां डॉ राजेश कुमार ने उसे प्राथमिक उपचार के उपरांत बेहतर चिकित्सा के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया।
2008 की कुशवाहा त्रासदी बाद से सहरसा पूर्णियां रेलखंड पर 2013 से ट्रेन परिचालन शुरू हुआ लेकिन रेलवे की ओर से प्लेटफार्मों की ऊंचाई को रेल डब्बे निकास द्वार के समांतर करने की दिशा में अब तक कोई पहल नहीं किया है। समानांतर ऊंचाई नहीं कारण यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। प्लेटफार्म ऊंचाई काफी नीचे रहने के कारण, यात्रियों को खासकर सीनियर सिटीजंस, बीमार, बुजुर्ग महिलाओं को ट्रेन से चढ़ने और उतरने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ट्रेन मे चढ़ने और उतरने के दौरान यात्री अक्सर घायल हो जाते हैं।
इससे पूर्व भी कई बार यात्री ट्रेन में चढ़ते और उतरते समय गिर चुके हैं । ट्रेन से उतरते समय सबसे अधिक परेशानी महिलाओं और बच्चों को होती है। ट्रेन पर चढ़ने उतरने के दौरान अब तक दर्जनों घटनाएं हो चुकी है और कईयों की मौते भी हुई है।

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