वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीएनएमयू मधेपुरा के छात्र अध्यक्ष सोनू यादव ने कहा कि उनका कहना था कि 'हक चाहिए तो लड़ना सीखो, कदम-कदम पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो. उनकी इन्हीं बातों ने उन्हें मुख्यमंत्री, राजनेता के साथ-साथ आम जनों का नायक बना दिया. जिसके बाद लोग उन्हें जननायक कर्पूरी ठाकुर कहने लगे. कर्पूरी जी भारत छोड़ो आंदोलन के समय छात्र जीवन से ही राजनीतिक शुरू किए थे. उनके जीवनी से हम युवाओं को प्रेरणा लेने की ज़रूरत है. कर्पूरी जी व्यक्ति नहीं विचारधारा हैं.
वहीं छात्र राजद के प्रदेश महासचिव जापानी यादव और माधव यादव ने कहा कि वे देशवासियों को सदैव अपने अधिकारों को जानने के लिए जगाते रहते थे. वे जानते थे कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसान है, इसलिए अनेकों योजना लाए लेकिन वर्तमान समय में भाजपा सरकार उनके नाम पर राजनीति रोटी सेंकती है लेकिन किसानों के हक के लिए काम नहीं करती. उन्हें बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है. कर्पूरी जी के लोकप्रिय कार्यों में मुंगेरीलाल कमीशन को लागू करना, जिसमें अन्य पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 26 और शिक्षण संस्थानों में 24 फ़ीसदी आरक्षण की व्यवस्था की थी. ऐसे महापुरुष नहीं मिलते हैं इसे अपने जीवन में उतारने की जरूरत है.
वहीं पुण्यतिथथि कार्यक्रम में नीतीश कुमार, मधुसूदन कुमार, प्रशांत कुमार, छोटू कुमार, संजीत कुमार, विवेक कुमार, गौरव कुमार, योगेश कुमार, सौरभ कुमार, आशीष कुमार, ज्योतिष, महाकाल, राजा कुमार, अंशु कुमार, चंचल कुमार सहित दर्जनों छात्र राजद के साथी उपस्थित थे.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 18, 2024
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