जिसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालय में निजी एजेंसियों के द्वारा सहायक प्राध्यापकों की बहाली की जा रही है. रमेश झा महिला महाविद्यालय सहरसा में इस तरह की बहाली की जा चुकी है. कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह की बहाली में ना कोई पारदर्शिता है और ना ही किसी आरक्षण रोस्टर का पालन हुआ है. नियम-परिनियम को ताक पर रखकर विश्वविद्यालय से बिना कोई अनुमति के ये बहाली की जा रही है. वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा इस तरह की बहाली पर संज्ञान लेते हुए विश्वविद्यालय के अनुमति के बिना बहाली नहीं करने का आदेश जारी किया है.
उक्त विषय के आलोक में कहना है कि रमेश झा महिला महाविद्यालय सहरसा के द्वारा सहायक प्राध्यापकों की बहाली को अतिशीघ्र रद्द करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य के खिलाफ विधि सम्मत कानूनी कार्रवाई करने की कृपा की जाए. साथ ही भविष्य में विश्वविद्यालय के अनुमति के बिना इस तरह की कोई भी बहाली न करने का निर्देश देते हुए अधिसूचना जारी करने की कृपा की जाए.
प्रो. अभिषेक कुशवाहा ने कहा कि बिहार सरकार का ये फरमान शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है. एक तरफ सरकार कह रही है हमारी शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह सही है, मजबूत है. एक तरह निजी एजेंसियों के अधीन होकर काम कर रही है. क्या सरकार खुद इस तरह की बहाली करने मे सक्षम नही है. जो कड़ी मेहनत से नेट, जेआरएफ और पी.एच.डी कर रहे हैं. उन छात्रों के साथ अन्याय हो रहा है. उनका मनोबल तोड़ने का काम किया जा रहा है. जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. इससे प्रतिभाशाली व गरीब छात्रों का आर्थिक शोषण तय है.
आइसा के राष्ट्रीय परिषद सदस्य सह विश्वविद्यालय अध्यक्ष अरमान अली ने कहा कि इस तरह की बहाली में किसी भी तरह का आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं होगा. अपनी मनमर्जी से एजेन्सी जब चाहे किसी को रख लेगी, जब चाहे हटा देगी. इसे सरकार को वापस लेना चाहिए. अन्यथा विश्वविद्यालय एवं बिहार सरकार के खिलाफ आन्दोलन तेज किया जायेगा.

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