बता दें कि मधेपुरा जिला के उदाकिशुनगंज अनुमंडल मुख्यालय में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय का एक मात्र अंगीभूत कॉलेज हरिहर साह महाविद्यालाय अवस्थित है. इस कॉलेज की स्थापना सन 1956 ईo में हुई है. 6 प्रखंडों के बीच अवस्थित इस सरकारी कॉलेज में एक भी कमरा छात्रों के पढ़ने के लायक नहीं है, ना ही एक भी कमरा कर्मचारियों के काम करने लायक है . फिर भी हर साल इंटर से लेकर डिग्री कोर्सेज में हजारों छात्र नामांकित होते हैं और बिना पढ़ाई के परीक्षा पास भी कर जाते हैं. इस कॉलेज में न कक्षा के लिए सुरक्षित भवन है और न ही कार्यालय के कोई सुरक्षित कमरा. आसान शब्दों में कहें तो यह कॉलेज केवल डिग्री बांटने वाला बनकर रह गया है.
जर्जर कमरे में बैठकर कर्मी काम निपटाते हुए नजर आते हैं. कॉलेज में करीब 2500 छात्र नामांकित हैं. प्रति वर्ष करीब 900 बच्चे यहां से पास भी कर रहे हैं,आलम यह है कि जिस कमरे में पठन पाठन होना चाहिए था, वहां जंगल झाड़ियां उग आई है. स्थिति इतनी बदतर है कि सिर पर प्लास्टर न गिर जाए, इस डर से कॉलेज कर्मचारी डर के साये में काम करते हैं. ऐसी स्थिति कई वर्षों से बनी हुई है जिसपर न तो स्थानीय विधायक और सांसद तथा शिक्षा मंत्री का कोई ध्यान है. स्थिति को सुधारने के लिए विधानसभा में भी कई बार मामला उठा, लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी स्थिति में अब तक कोई सुधार संभव नहीं हो पाया है.
कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ धीरेन्द्र कुमार ने कहा कि सरकार की सकारात्मक सोच और नजर रही तो ये परिसर अच्छे भवन में तब्दील हो सकता है, तब उम्मीद है और काफी संख्यां में छात्र यहां आएंगे. वहीं उन्होंने कहा कि शिक्षक तो कॉलेज आते हैं लेकिन कॉलेज का भवन जर्जर रहने के कारण छात्र कॉलेज आने से डरते हैं. वहीं कॉलेज के हेड क्लर्क डॉ अरविन्द कुमार ने कहा कि बीते सत्र कॉलेज में जो भी छात्र छात्राओं ने नामांकन लिया है उसका सारा कागजात प्लास्टिक से लपेट कर रखा हुआ है क्योंकि बारिश के समय में कॉलेज का पूरा छत टपकता है जिस कारण यहाँ के कागजात को प्लास्टिक से ढककर रखना पड़ता है. उन्होंने बताया कि एक दिन तो छत से एक सांप गिरा जिससे सभी लोग डर गए.
इतना हीं नहीं छात्र-छात्राओं के नहीं आने से कॉलेज परिसर इन दिनों जुआरियों का अड्डा बनता जा रहा है तो वहीँ इसका मैदान गौशाला में तब्दील होता जा रहा है. ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि बस कॉलेज के भवन और संसाधन नहीं रहने के कारण क्षेत्र के छात्रों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ भी हो रहा है.
हालांकि इन सवालों को लेकर जब शिक्षा मंत्री प्रो,चंद्रशेखर से बात करने की जहमत उठाई गई तो उन्होंने इस मसले पर कुछ भी कहने से परहेज किया और चुप्पी साध लिए. अब सिस्टम पर उठता है एक बड़ा सवाल. आखिर बिहार के शिक्षा मंत्री ग्रंथ और रामचरितमानस पर देते हैं बड़े बड़े बयान, लेकिन बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर क्यों साध लेते चुप्पी? इन सवालों के कटघरे में खड़ा है सरकारी सिस्टम और राज्य सरकार.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 21, 2023
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