ज्ञात हो कि उक्त जागरूकता कार्यक्रम 25 नवंबर से आरंभ है जो 10 दिसंबर तक जारी रहेगा. जिसमें बच्चों के अलावे समाज के विभिन्न लोगों को लैंगिक हिंसा के बारे में जागरूक करना है. कार्यक्रम में उपस्थित एल.एस. अलका कुमारी व रीना कुमारी ने बालिकाओं एवं महिलाओं के विरुद्ध लैंगिक हिंसा के स्वरूप के बारे में कहा कि लैंगिक हिंसा पहचानना और उसे रोकना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व बनता है. मध्य विद्यालय बिहारीगंज की प्रधानाध्यापिका द्रोपदी देवी ने लैंगिक हिंसा की परिभाषा को परिभाषित करते हुए बताया कि दहेज, विधवा उत्पीड़न, बेटा पैदा करने हेतु दबाव बनाना, घरेलू हिंसा, साइबरक्राइम ऑनलाइन बुलिंग, चरित्र हनन, शिक्षा से दूर रखना, छेड़छाड़, फब्तियां कसना, रास्ते में तंग करना, बाल विवाह, औरतों का मीडिया में गलत चित्रण करना, कुपोषण, मानसिक हिंसा, दहेज प्रताड़ना, अपहरण आदि लैंगिक हिंसा के रूप में आता है.
कार्यक्रम में पूर्व बीआरपी शिवराज राणा, एलएस तरनूम जहां, सांख्यिकी सहायक विनय प्रसाद यादव, जयराम सिंह के अलावे मनीष कुमार, अताउर रहमान, किसन कुमार, प्रेमलता कुमारी, कौशल्या कुमारी, किरण सोनी आदि शामिल हुए.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
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