चारों ओर से सिर्फ महिलाओं-बच्चों के रोने कलपने की ही आवाजें आ रही थी। मृतक हृदय सदा को दस बच्चे हैं, जिसमें आठ लड़कियाँ और दो लड़के हैं, छः लड़कियों की शादी हो चुकी हैं। हृदय सदा की की पत्नी रो रो कर सिर्फ यही बोल रही थी कि वही तो पूरे परिवार का भरण पोषण किया करते थे, अब बच्चों को कौन पालेगा। इधर मृतक पुरण ऋषिदेव का तीन दिन पहले छेका ही हुआ था। शादी में होने वाले खर्च जमा करने के लिए कमाने के लिए वो बाहर जा रहा था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
इधर मृतक सुनील सदा के भी परिवार का रो रो कर बुरा हाल है। सुनील को दो बेटियाँ और दो बेटे हैं। वही इस घटना में घायल दस लोग भी गाँव पहुँचे। घायलों ने बताया कि बस में लगभग पचास से साठ लोग सवार होकर पटियाला के लिए निकले थे। बस सिंहेश्वर से खुलने के बाद दरभंगा के एक ढाबा पर रुकी थी। फिर वहाँ के बाद रास्ते में एक और ढाबे पर रुकी। जिसके बाद ड्राईवर बस को काफी स्पीड में चला रहा था। तबतक बस में सवार सभी लोग सो चुके थे। सुबह के 3 बजे के आस पास एक जोरदार धमाके से उनकी नींद खुली, बस का आगे का हिस्सा साफ हो चुका था। जिसके बाद आस पास के लोगों ने एम्बुलेंस से सभी को अस्पताल पहुँचाया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि ड्राईवर के साथ केबिन में बैठे कुछ लोगों की मौत तो घटना स्थल पर ही हो गयी।

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