बाबू वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकश डालते हुए प्रखर समाजसेवी दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक 80 वर्ष के युवा, पराक्रम की पराकाष्ठा, अद्वितीय योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह की अगुआई में देश सन 1857 में ही स्वतंत्र हो गया होता, यदि सिंधिया, जम्मू कश्मीर समेत चंद देशी रियासतों और राजाओं ने अपने वतन से गद्दारी कर अग्रेजों का साथ न दिया होता. फिर भी आग्नेयाश्त्रों से लैश फिरंगी सेना को बाबू वीर कुंवर सिंह ने अपनी रक्त पिपाशु नगी तलवार से सात जगहों पर शिकस्त देकर उनसे वो किला छीन लिया था. आंतरिक गद्दारी और राष्ट्रीय एकजुटता के अभाव के बावजूद वो अपने जिन्दगी के अंतिम क्षणों तक अंग्रेजों से लोहा लेते रहे.
उन्होंने कहा कि आज हम सभी राष्ट्रवादी उनके आदमी साहस, अनुपम शौर्य और राष्ट्र के प्रति उनके सर्वस्य समर्पण का स्मरण कर अपने ह्रदय की गहराइयों से उन्हें नमन करते हैं और उनके राष्ट्रीय चरित्र को अपने जीवन में उतारने के संकल्प के साथ अपने राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं.
वहीं मौके पर अपने उदगार व्यक्त करने वाले प्रमुख वक्ताओं में समाजसेवी दिलीप कुमार सिंह, अमन सिंह प्रतीक, तेजस्वी सिंह, मंखुश मिश्रा, हिमांशु मिश्रा, चेतन कुमार, उज्जवल झा, मनु मिश्रा, आर्यन आनंद, मो० आलम, अनुज, आदर्श चौहान, चेतन यादव समेत दर्जनों लोग थे.
(रिपोर्ट: अमित सिंह)

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