बाहर से आए कलाकार और स्थानीय कलाकारों ने गीत, नृत्य एवं नाटक की संदेशप्रद प्रस्तुति दी. इसी कड़ी में समाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था सृजन दर्पण के रंगकर्मियों ने आज के बौद्धिक एवं वैज्ञानिक दौर में भी समाज में व्याप्त जातिवाद एवं छुआछूत पर आधारित नृत्य-नाटिका के माध्यम से व्यंग्य शैली में प्रहार किया. कलाकारों ने मंचन में दिखाया कि भेदभाव की भावना का आधार कितना तथ्यहीन है. अज्ञानता के कारण आम लोग उसे अकाट्य सत्य मानते हैं, ईश्वर का विधान मानते हैं. युवा रंगकर्मी और निर्देशक विकास कुमार द्वारा निर्देशित नाटिका 'हमारी डाला पनपतिया' के जरिए समाज में व्याप्त जाति भेद एवं छुआछूत को मार्मिक ढंग से मंच पर कलाकारों ने दिखाया. जब दलित कहता है कि मेरे द्वारा बनाए सूप डाला से देवता की पूजा होती है, मंदिर में मेरे द्वारा बनाए मूर्ति की लोग पूजा करते हैं, तो फिर हमसे छुआछूत क्यों की जाती है?
कलाकारों की संदेश प्रस्तुति से जब सच्चाई समझ में आती है तब सदियों का अंधविश्वास खुद ब खुद समाप्त हो जाता है. समानता और समरसता स्वत: आ जाती है.
कार्यक्रम में मुख्य कलाकार थे मेघा कुमारी, पल्लवी कुमारी, आकांक्षा प्रिया, आर्यन राणा, सौरभ कुमार एवं विकास कुमार. प्रस्तुति को सफल बनाने में अंजली कुमारी एवं राणा यादव ने अहम भूमिका निभायी. कार्यक्रम का संचालन आयोजक सह वरीय रंगकर्मी सुभाष चंद्र ने किया.

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