मालूम हो कि प्रदेश सरकार ने पहली बार प्रदेश में मुख्य पार्षद और मेयर के चुनाव में सीधे जनता को चुनने का अवसर दिया है. जबकि पहले वार्ड से चुने वार्ड पार्षद इस पद को चुनते थे. मुख्य पार्षद मेयर के चुनाव में कथित लाखों का खेल होता था. साथ ही बीच-बीच में वार्ड पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लगाते थे फिर दूसरे मुख्य पार्षद का चुनाव करते थे. इस खेल में कथित रूप से रूपये का लम्बा खेल होता था. साथ ही नगर पालिका का विकास लम्बे समय तक अवरूद्ध होता था. मामला कोर्ट या नगर विकास विभाग जाने से नगर का सारा काम बाधित हो जाता था.
सरकार ने इस पर विराम लगाते हुए मुख्य पार्षद के चुनाव की जिम्मेदारी नगर की जनता के पाले में डाल दिया, साथ ही मुख्य पार्षद पद को राजनीतिक दल के दायरे से बाहर रखा है, जबकि अन्य प्रदेश में यह राजनीतिक दल के बीच होता है. नगर पार्षद और मुख्य पार्षद चुनाव का समय मई में खत्म हो रहा है. इस बावत राज्य सरकार या निर्वाचन आयोग ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन भावी उम्मीदवारों में मुख्य पार्षद की कुर्सी पर काबिज होने की होड़ मच गयी है.
मुख्य पार्षद की कुर्सी के लिए जद यू, राजद, भाजपा समर्थित नेता स्वयं या अपनी पत्नी को मैदान में उतारने को बेकरार हैं. राजनैतिक दल के बीच निर्दलीय और जातीय समीकरण को लेकर लगभग दो दर्जन से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरने के लिए ताल ठोक रहे हैं. मजे की बात तो यह देखने को मिला है कि फिलहाल मुख्य पार्षद पद महिला होगा या पुरूष या सामान्य लेकिन भावी उम्मीदवार ने पति पत्नी (दोनों) होर्डिग में अनुरोध कर रहे हैं. अगर पुरूष सीट होगा तो पति अगर महिला हुआ तो पत्नी को चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार कर रखा है.
पिछले दो महीने से अधिक समय से मुख्य पार्षद के भावी उम्मीदवारों ने शहर को होर्डिग से पाट डाला है. शहर के तमाम चौक चौराहे पर अपने बड़े बड़े होर्डिग लगा रखे हैं. जनता से मानो समर्थन की अपील में जुटे हैं. ऐसे उम्मीदवार सुबह से लेकर देर रात तक जनसम्पर्क अभियान इस कदर चला रखा है कि एक प्रत्याशी एक मुहल्ला से निकलते हैं कि दूसरा प्रत्याशी आ धमकता है. चुनाव की तिथि घोषित नहीं होने से पहले ही उम्मीदवारों के जन सम्पर्क से नगर वासी खासे परेशान हैं. फिर भी दुबी जुबान से जीत का आशीर्वाद देने को मजबूर हैं.
मुख्य पार्षद की कुर्सी पर विराजमान होने की होड़ में राजनीतिक दल समर्थक और गैर राजनीतिक उम्मीदवार अपने-अपने जातीय समीकरण की गोटी सेट करने में लगे हैं. ऐसे उम्मीदवार शहर में किस जाति का बहुल है उसकी गणना कर उस जाति के प्रमुख लोगों को अपने पाले में लाने की कवायद शुरू कर दिए हैं. तमाम भावी उम्मीदवार जातीय गणना और शहर में अपनी पैठ और प्रभाव को लेकर अपनी जीत सुनिश्चित कर रखा है.
राजनीतिक पंडित और भविष्य वक्ता, उम्मीदवार के भविष्य को तय करने में जुटे हुए हैं और फिलहाल उनकी चांदी कट रही है.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 25, 2022
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