उन्होंने उपस्थित छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्होंने विभिन्न भाषाओं में लगभग तीस हज़ार गानों को अपनी सुरीली आवाज दी। उनकी आवाज ही उनकी पहचान थी। आज उनके हमारे बीच नहीं होने से सुरों का एक कारवां थम सा गया है, लेकिन वे अपनी आवाज से हमेशा हमारे दिलों में राज करेंगी। लता जी भले ही इस दुनिया में अब नहीं है, लेकिन उनके गाने हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी। स्वर कोकिला को भारत रत्न समेत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। नई पीढ़ी के संगीतकारों के लिए वह एक प्रेरणा स्रोत हमेशा से रहेगी।
इस अवसर पर विद्यालय के सभी शिक्षकगण एवं कर्मचारीगण मौजूद रहे।
(नि. सं.)

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