आरोप लगाया कि |
तदुपरांत यू.आर. महिला अभ्यर्थियों को चयन के लिए बुलाया गया, फिर बी.सी. की पांच रिक्तियों के विरुद्ध बी.सी. अभ्यार्थियों का चयन होना था. बी.सी. कोटे की उद्घोषणा के बाद बी.सी. का चयन किया गया. बी.सी. कोटे में चयन प्रक्रिया का अंतिम 70.91 प्रतिशत पर हुआ था.
विकलांग कोटे पर किसी का चयन नहीं हुआ था वह सभी सीट बचा हुआ ही था. इसी क्रम में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी मुरलीगंज द्वारा एक छात्र को कौन्सिलिंग हॉल में बुलाया गया जो आंखों से विकलांग था, का चयन किया गया. 4 में से 1 सीट विकलांग को चला गया. 3 सीट पर चयन होना था जिसमें से एक सीट पर मुरलीगंज नियोजन इकाई में एक बीआरपी भी वहां मौजूद था. बीआरपी भाई मनीष कुमार का चयन किया गया. 70% के लिए कम प्राप्तांक विकलांग कोटे से बी.सी. के रूप में चयन किया गया जो कि गलत है.
वहीं अमित कुमार का चयन स्वतंत्रता सेनानी वाले कोटे पर किया गया, जो रोस्टर के नियमानुसार नहीं है. वहीं अन्य 2 अभ्यर्थियों के विकलांग कोटे को बी.सी. में चयन कर बहुत बड़ी गड़बड़ी की गई है. वहीं बी.सी. कोटे के चयनित अभ्यर्थियों का सामान्य कोटे में किया गया जो कि चयन प्रक्रिया के विरुद्ध है. चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी के लिए अभ्यर्थियों ने रोस्टर के अनुरूप गड़बड़ी का हवाला दिया.
मामले में जब प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सूरज प्रसाद यादव से जानकारी ली गई तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार किया और कहा कि प्रखंड नियोजन इकाई के सचिव प्रखंड विकास पदाधिकारी होते हैं. वही इस विषय में जानकारी दे सकते हैं.
इधर मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी अनिल कुमार ने कहा कि पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ चयन प्रक्रिया की गई है. अभ्यर्थी स्वतंत्र हैं कुछ भी कहने को, उनका आरोप निराधार है.
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