विदित हो कि मांस मछली के दुकानदार मांस-मछली बेचने के बाद बांकी बचे कचड़ों को सड़क किनारे ही छोड़ देते हैं, जिससे काफी गंध उत्पन्न होने के साथ-साथ कई बार जानवरों के माध्यम से कचड़ा लोगों के घर तक पहुंच जाता है. सुबह-सुबह कई बार लोगों को बकरे का सींग तो कई बार घर के सामने मांस का दर्शन होता था. इसी के साथ मांस बेचने के बाद दुकानदार अस्पताल के चापाकल पर गंदगी साफ करते थे, जो मरीजों के लिए भी खतरा खड़ा करता है.
बता दें कि इससे पूर्व में भी कई बार सीओ और कार्यपालक पदाधिकारी एवं थाना प्रभारी के द्वारा इस स्थान को अतिक्रमण मुक्त करवाया गया है. मांस मछली की चौकी को नगर परिषद में रखा गया था. वहीं सभी मांस मछली वाले को दोबारा लगाने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गयी थी लेकिन इसके बावजूद भी मांस मछली दुकानदारों द्वारा बात पुरानी होते ही दोबारा सदर अस्पताल के समीप मांस मछली का दुकान खोल लिया जाता था, जो लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रहा था.
वहीं कुछ समाज में रहने लोगों का कहना है कि मांस मछली की दुकानें शोभा नहीं देती थी. अगर जिला प्रशासन या नगर परिषद के द्वारा इसका कोई समाधान हुआ है तो यह बहुत अच्छी बात है.
(नि सं.)

No comments: