हमेशा ताजा व पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है. सुरक्षित प्रोसेसिंग की गई चीजों का इस्तेमाल करने से किसी तरह की कोई शिकायत या डर नहीं रहता है. मार्केट से खरीददारी कर लाए गए वस्तुओं को इस्तेमाल से पहले फल व सब्जियों को अच्छी तरह से धोने के बाद ही उसका उपयोग किया जाए तो बेहतर होगा. डिब्बाबंद सामानों की खरीददारी करते समय उसकी एक्सपायरी देखना कभी भी नहीं भूलना चाहिए. इसके साथ ही स्वस्थ सेहतमंद जिंदगी के लिए पीने का पानी का स्वच्छ होना भी बहुत जरूरी होता है. हालांकि पानी को उबालकर पीने से हर तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है.
किशोर किशोरियों के स्वास्थ्य की देखभाल जरूरी : सिविल सर्जन
मौसम के उलटफेर पर होने वाले स्वास्थ्य समस्याएं किशोर किशोरियों के लिए भी उतनी ही चुनौतीपूर्ण है जितना अन्य लोगों के लिए. खासकर जब कोरोना संक्रमण के कारण अभी भी वह सामान्य दिनचर्या में वापस नहीं आए हैं. ज्यादातर लोग घर में रहने से व शारीरिक गतिविधियों से दूर और कंप्यूटर और मोबाइल गेम्स में उलझ कर रह गए हैं. ऐसे में मौसम के वजह से होने वाले रोग उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है. इसलिए इनके स्वास्थ्य की जरूरतों को नजर अंदाज नहीं करें. अन्यथा समय रहते उन पर ध्यान ना देना कहीं उनके नुकसान का कारण न बन जाए.
किशोर अवस्था में सही पोषण द्वारा बेहतर स्वास्थ्य का तोहफा
सिविल सर्जन डॉ अमरेन्द्र नारायण शाही ने कहा कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए किशोर अवस्था बहुत महत्वपूर्ण समय होता है. इसलिए इस दौरान किशोरियों को सही पोषण द्वारा एनीमिया और अन्य दूसरे रोगों से बचाना जरूरी है. विशेषकर किशोरियों में प्रत्येक माह होने वाले मासिक चक्र के कारण खून की कमी से होने वाली कमजोरियों को दूर करने के लिए उनके आहार में पोषक तत्वों को शामिल करें. इसलिए किशोरियों को आयरन युक्त आहार देने की आवश्यकता है. बढ़ते बच्चे के आहार में विटामिन कैल्शियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व की अनदेखी नहीं करें. प्रत्येक का अपना अलग-अलग फायदा होता है. इसलिए दाल, हरी सब्जियां, गाजर, गोभी, दूध, दही, चना, गुड़, मौसमी फल, टमाटर, बादाम, सूरजमुखी के बीज, पीनट, बटर और पपीता आदि को उनके भोजन में शामिल जरूर करें. विटामिन सी के लिए खट्टे फल खाना लाभकारी है इससे प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होता है.
मित्रवत व्यवहार कर उनको मानसिक तनाव से दूर रखें
सिविल सर्जन नारायण शाही ने बताया कि लगातार ऑनलाइन कक्षा और दोस्तों से दूरी से किशोरों में मानसिक तनाव बढ़ सकता है. इसलिए उनके व्यवहार पर नजर रखें. यदि कुछ असामान्य नजर आए जैसे समय पर नींद ना आना और देर रात तक जगना, बेवजह गुस्सा करना, चिरचिरापन, घर पर पढ़ाई के दौरान एकाग्रता में बाधा, अत्यधिक चिंता, व उदासी या कभी-कभी बिस्तर गीला हो जाना तो तुरंत उनके समस्याओं को समझें. उनसे अभिभावक नहीं बल्कि दोस्त बन कर बात करें. जिससे वह तनाव की स्थिति से बाहर निकल सके. उनके साथ समय बिताएं. योग और ध्यान की तरफ उनकी रुचि बनाने की कोशिश करें. इससे उनको साकारात्मक ऊर्जा मिलेगी और तनाव से निकल पाएंगे.
सभी बच्चे और किशोर तनाव को लेकर एक ही तरह से प्रतिक्रिया नहीं देते हैं. कुछ बच्चों में सामान्य परिवर्तन ही देखने को मिलता है. जबकि कुछ में काफी गंभीर तरह से बदलाव आ सकता है. इसलिए अभिभावकों को सतर्क होकर अवलोकन करना जरूरी है. संभव हो तो उनसे क्लासेस के बाद कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल से दूरी रखें जिससे कि उनकी आंखों भी सुरक्षित रह सके.
इन बातों का ध्यान रखें:
कोविड-19 की वैक्सीन ले
सार्वजनिक स्थानों पर लोगों से दूरी बनाए
कम से कम 2 मास्क रखें घर में, बनाए गए मास्क को समय-समय पर धुलते रहे
अपने नाक, आंख एवं मुंह को छूने से बचें, हाथों को नियमित रूप से साबुन एवं पानी से अच्छी तरह साफ करें
अल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें.
तंबाकू आदि का प्रयोग नहीं करें और ना ही सार्वजनिक स्थानों पर थूके.
(नि. सं.)

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