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दरअसल 2019 में सरकार ने नई 37,000 रिक्तियों की घोषणा करते हुए एसटीईटी की परीक्षा ली, जो लंबे समय तक धांधली की शिकायत पर गले का फ़ांस बन गई है. विभाग ने महीनो इंतजार के बाद परीक्षा परिणाम घोषित किया लेकिन ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हुई. सरकार ने छठे चरण की बहाली का बहाना बनाकर सफल अभ्यर्थियों के भविष्य को अंधकारमय बना दिया. जबकि इस बहाली का छठे चरण से कोई मतलब नहीं है. बिहार शिक्षक बहाली मोर्चा के जिलाध्यक्ष रणधीर कुमार ने कहा कि फ्रेश नोटिफिकेशन के आधार पर परीक्षा ली गई तो पहले से चल रही बहाली प्रक्रिया से इसका क्या मतलब है ? सरकार की मंशा साफ एवं दृढ़इच्छा शक्ति हो तो अगले दो माह में भर्ती पूरी हो सकती है.
सरकार प्रदेश के युवाओं को अंधेरे में धकेल चुकी है. अभ्यर्थियों का मोहपाश भंग हो चुका है. भीतर ही भीतर आक्रोश की चिंगारी सुलग रही है. भूख और मुफलिसी का शिकार होने से अच्छा है कि कोरोना संकट को दरकिनार कर हम अपने हक की लड़ाई लड़े. या तो सरकार हमारी बात सुने, या फिर हम खुद को कुर्बान कर दें.
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बीच घोषित लॉकडाउन में प्रदेश के दर्जन भर शिक्षक अभ्यर्थी अपनी जान गवां चुके हैं. सरकार को इसका हिसाब देना होगा. इस मुहिम में साथ दे रहे शिक्षक अभ्यर्थी आनंद भूषण, सारंग तनय, आभाष कुमार, ई. प्रिती सागर, ब्रजेश राजधान, रामाशीष कुमार, विनोद कुमार, अभिनंदन कुमार, ललन कुमार, सुधीर कुमार, रंजन यादव, विभीषण कुमार, दिलीप कुमार दिल, हरिश्चन्द्र कुमार, अनिल कुमार, अजित कुमार, मुन्ना कुमार, भारती कुमारी, निक्की कुमारी, कंचन माला, स्मिता कुमारी, रूपेश कुमार, रतन कुमार, सोनी राज, संतोष कुमार, मनीष कुमार, सुमन कुमार, रामनरेश यादव, तेजनारायण कुमार, बबलु कुमार, रंजीत कुमार, शैलेन्द्र कुमार, सौरभ कुमार, निलेश कुमार, मंतोष कुमार, पंकज पथिक, कुंदन कुमार इत्यादि का भरपूर सहयोग मिला.
वहीं सभी शिक्षक अभ्यर्थियों ने एक स्वर में कहा कि यदि सरकार हम लोगों की बहाली समय सीमा के अंदर जल्द ही पूरी नहीं करती है तो हम लोग सडकों पर उतरकर उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे.

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