चिकित्सक, पत्रकार, समाजसेवी आदि के मरने की झूठी अफवाह फैलाते हैं असामाजिक तत्व

मधेपुरा जिले के बिहारीगंज के थानाध्यक्ष ने कहा है कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर की जा सकती है कार्रवाई.

बिहारीगंज प्रखंड क्षेत्र में जब भी कोरोना काल आता है, तो इस दौरान अफवाह फैलाने वालों का भी बाजार गर्म हो जाता है. कुछ तथाकथित असामाजिक तत्व कभी डॉक्टर तो कभी व्यवसाई तो कभी पत्रकार तो कभी समाजसेवी के बारे में उनके मरने की गलत अफवाह फैला देते हैं, जबकि संबंधित व्यक्ति पूरी तरह से भला चंगा व जिंदा रहता है.

गत दिनों बिहारीगंज के एक चिकित्सक तथा एक व्यवसायी के मरने का अफवाह फैलाया गया. यहां तक कि ऐसे अफवाहबाज पत्रकारों को भी नहीं बख्शा और उसके बारे में भी अफवाह फैला दी. जबकि एसे लोग आज भी जिंदा और पूरी तरह से स्वस्थ हैं.

इस मामले में थानाध्यक्ष अरुण कुमार ने बताया कि पिछले साल भी इस तरह का अफवाह फैलाया गया और इस साल भी फैलाया जा रहा है तो ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी के तहत केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. अगर कोई शख्स दो ग्रुप, धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, रिहायश या भाषा के नाम पर नफरत फैलाने का काम करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-153 ए के तहत केस दर्ज हो सकता है.

अगर कोई शख्स बोलकर, लिखकर या इशारे से या फिर किसी और तरीके से दो ग्रुपों, धर्मों के बीच सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करता है या फिर लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है. ये अपराध गैरजमानती है और संज्ञेय है. गैरजमानती अपराध होने के कारण पुलिस को इस बात की छूट है कि ऐसे अपराध करने वालों के खिलाफ सीधे तौर पर कार्रवाई कर सकती है, और उसे पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है. आरोपी को कोर्ट से ही जमानत मिल सकती है, थाने से नहीं. इस मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल कैद की सजा सुनाई जा सकती है.

(रिपोर्ट: रानी देवी)

चिकित्सक, पत्रकार, समाजसेवी आदि के मरने की झूठी अफवाह फैलाते हैं असामाजिक तत्व चिकित्सक, पत्रकार, समाजसेवी आदि के मरने की झूठी अफवाह फैलाते हैं असामाजिक तत्व Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 22, 2021 Rating: 5

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