'मिसाल बने अजय': संक्रमित और लावारिस शवों को जलाने के लिए निजी जमीन को बनाया श्मशान

इधर कटिहार से एक खबर आई थी जिसमें एक कोरोना संक्रमित की मौत के बाद उसकी लाश तीन दिनों तक इसलिए रखी रह गई कि ऐसी लाशों को जलाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं थी. यहाँ तक कि अस्पताल के पास लावारिस शवों को जलाने की भी कोई योजना नहीं थी.

मधेपुरा में भी मिलते-जुलते हालात की कल्पना कर न्यायालय के एक कर्मी अजय यादव ने संवेदनशीलता दिखाते एक बड़ा कदम उठाया और ऐसे शवों के दाह संस्कार के लिए तीन कट्ठा निजी जमीन साहुगढ़ नदी के निकट दे दी. अजय जिला मुख्यालय के आजाद नगर वार्ड नं. 9 के निवासी योगेन्द्र प्रसाद यादव के पुत्र हैं. यही नहीं उन्होंने ऐसे शवों के अंतिम संस्कार में उपयोग में आनेवाली हर सामग्री का इंतजाम करने का भी भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि मेरे साथ इस कार्य में ऋषि श्रृंगी सेवा मिशन के निखिल भी हैं. बताया कि कई जगह सरकारी जमीन पर ऐसे काम पर लोगों की बड़ी आपत्ति देखकर उन्हें बुरा लगा.

लोगों को इसकी जानकारी हुई और आज अजय ने हमें बताया कि आज से शवों का आना शुरू हो गया है और देर शाम तक दो शवों का अंतिम संस्कार किया गया है, जबकि एक और शव कुछ देर बाद आने की सूचना दी गई है. मधेपुरा के जिला न्यायाधीश के आदेशपाल अजय ने आगे बताया कि वे कटिहार की उस घटना से बेहद भावुक हो गए और यह कदम उठाया है. वे खुद अंतिम संस्कार के समय मौजूद रहते हैं. कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो और भी जमीन इस कार्य के लिए देंगे ताकि किसी के अपनों की लाश परिजनों को न रुलाये.

जाहिर है, ऐसे लोगों की बदौलत आज भी मानवता जिन्दा है.

(नि. सं.)

'मिसाल बने अजय': संक्रमित और लावारिस शवों को जलाने के लिए निजी जमीन को बनाया श्मशान 'मिसाल बने अजय': संक्रमित और लावारिस शवों को जलाने के लिए निजी जमीन को बनाया श्मशान Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 08, 2021 Rating: 5

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