वहीं सोमवारी करने वाली महिलाओं को पंडित शत्रुघ्न बाबा ने सोमवती अमावस्या की कथा सुनाते हुए बताया कि सोमवती अमावस्या के बारे में धार्मिक कथाओं में वर्णित है कि मृत पति के प्राण को पत्नी द्वारा इस व्रत के प्रभाव से वापस लाया गया था. तब से लेकर आज तक महिलाएं सोमवारी अमावस्या के दिन पीपल पेड़ के नीचे 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करती है और अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है. इस दिन किया गया स्नान, ध्यान, जप और दान अनंत फलदायक होते हैं. पीपल के वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, शाखा में शिव तथा सभी पत्तों में देवताओं का वास होता है. इसलिए पीपल वृक्ष की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है तथा सभी सुख प्राप्त होते हैं.
पूजा करने वाली महिलाओं में कुमारी गुंजन भारती, सिंकू देवी, मंदिरा देवी, बबीता देवी, मीरा देवी आदि ने बताया कि अमावस्या के दिन सोमवारी पूजा का बहुत महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन पीपल की पूजा करने से वंश में वृद्धि व परिवार में खुशी का माहौल रहता है. सोमवती अमावस्या का पर्व काफी हर्षोल्लास के साथ सुहागिन महिलाएं मनाती है.

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