मौके पर मौजूद यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई० मुरारी कुमार ने कहा कि कल बिहार में दो ऐसी घटना घटी है जिससे बिहार के मान-सम्मान और मर्यादा को ठेस पहुँची है. पहली घटना है कि लोकतंत्र में विरोध चलता ही रहता है मगर बिहार की सरकार लोकतंत्र में अब लाठी की सरकार हो गई है और अपने लिए रोजगार-महँगाई-भुखमरी के सवाल पर जब आंदोलन किया जाता है तो आम जनता को सिर्फ और सिर्फ लाठी-गोली से स्वागत किया जाता है जो लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है.
दूसरी घटना ये है कि कल एक बार फिर से काला बिल लाया गया है, जिससे आम नागरिक को अब पुलिस के द्वारा बेवजह परेशान किया जा रहा है. सरकार पुलिस बिल लाकर पुलिस को अपना गुंडे के रूप में उपयोग करेगी. ये सरकार भी अब अपने सरदार के तरह सभी फैसले और सभी काला बिल रात के अंधेरे में और चोर दरवाजे से हर काम करती है. आज ऑल इंडिया स्टूडेंट यूनियन के साथी इन्हीं मुद्दे को लेकर बिहार के सुशासन बाबू का पुतला दहन किया है. अगर ये काला कानून वापस नहीं करती है तो आगे चलकर आयसु चरणबद्ध तरीक़े से आंदोलन को बाध्य हो जाएगी.
सौरभ कुमार व राहुल कुमार ने बताया कि विरोध भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है अगर विपक्ष नहीं रहा तो सत्ता निरंकुश हो जाएगी. सत्ता का विरोध करना जन-जन का अधिकार है. यह अधिकार पुलिस की लाठियाँ छीन नहीं सकता. सत्ता को नशा में नहीं आना चाहिए. जब-जब सत्ता नशा करती है, तो जनतंत्र रूपी थप्पड़ उनकी नींद सदा के लिए तोड़ देती है.
छात्र नेता पुष्पक कुमार व अजित कुमार ने कहा कि बिहार बुद्ध की धरती रही है. यह प्रेम पसन्द करता है, न कि लाठियां. विपक्ष को भारतीय संविधान में विरोध करने की अनुमति देता है. इस अनुमति पर पुलिसिया लाठी बरसाना संवैधानिक मर्यादा की उल्लंघन है. डॉ. लोहिया के जयंती पर समाजवाद की कोख से पैदा हुए शासक अगर इस प्रकार की दमनकारी रूप अपनाएंगे तो निश्चय ही यह लोहिया के सिद्धांतों की हत्या है.
पुतला दहन कार्यक्रम में शैलेंद्र कुमार, संदीप कुमार, राजा कुमार, विकाश कुमार, हिमांशु कुमार, विवेक कुमार, रवि कुमार, अमोद कुमार, चंदन कुमार, कुंदन कुमार, प्रवीण कुमार सहित दर्जनों छात्र नेता मौजूद थे.

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