मधेपुरा में धूमधाम से मना आईरा का सातवां स्थापना दिवस सह प्रांतीय सम्मेलन समारोह

मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित जिला परिषद विवाह भवन परिसर में शुक्रवार को ऑल इंडियन रिपोर्टर एसोसिएशन (आईरा) का सातवां स्थापना दिवस सह प्रांतीय सम्मेलन समारोह बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया. 

जिसका उद्घाटन जिला पदाधिकारी श्याम बिहारी मीणा, पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार, आईरा के प्रदेश अध्यक्ष सुमन मिश्रा, बीबीसी के पूर्व संवाददाता वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर एवं पत्रकार, लेखक पुष्यमित्र, मुरलीगंज नगर पंचायत अध्यक्ष श्वेत कमल उर्फ बौआ यादव ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त रूप से किया. 

कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष मुरारी कुमार सिंह ने की. उसके बाद अतिथियों का शिक्षिका शशिप्रभा जायसवाल ने स्वागत गीत से किया. अपने संबोधन में पुलिस अधीक्षक योगेंद्र कुमार ने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाते हैं. समाज के बेहतरी करने में इसकी भूमिका सबसे अहम है. उन्होंने कहा कि पत्रकार कोई भी हो प्रखंड स्तर के हो या जिला स्तर या फिर प्रदेश स्तर के सब की जिम्मेदारी बराबर है. वहीं जिलाधिकारी श्याम बिहारी मीणा ने उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं. हमेशा पत्रकारिता निष्पक्ष और पारदर्शिता होनी चाहिए. आपके कार्यों से लोगों को न्याय मिलना चाहिए क्योंकि लोगों की उम्मीद आप से जुड़ी हुई रहती है. 

सम्मेलन के दूसरे सत्र में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर आरकेपी रमन एवं प्रति कुलपति आभा सिंह ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित एवं केक काटकर वर्तमान स्थिति में पत्रकारिता की विश्वसनीयता एवं चुनौतियों पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन किया. सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में विदेशी के पूर्व संवाददाता मणिकांत ठाकुर एवं लेखक व पत्रकार पुष्यमित्र मौजूद रहे. बीबीसी के पूर्व संवाददाता मणिकांत ठाकुर ने कहा कि लोकतंत्र के एक मजबूत स्तम्भ की साख आज दांव पर है. जी हां मैं बात कर रहा हूं पत्रकारिता की, जो एक महत्वपूर्ण कड़ी है सरकार और जनता के बीच. समाज में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि यह जनता और सरकार के बीच सामंजस्य बनाने में मदद करता है लेकिन ये अब ऐसे स्तर पे आ गया है जहां लोगों का भरोसा ही इस पर से खत्म होता जा रहा. इसका अत्यधिक व्यावसायीकरण ही शायद इसकी इस हालत की वजह है लेकिन जहां तक मैं सोचता हूं इसके लिए अनेक कारक हैं जो इस दुर्दशा के लिए जिम्मेदार हैं. सोशल साइट्स, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और इंटरनेट के जमाने में प्रिंट मीडिया कमजोर हो चला है क्योंकि व्हाट्सएप्प, ट्विटर और फेसबुक पर हर समाचार बहुत ही तेज़ी से फ़ैल जाता है और मिर्च मसाला लगाने में भी आसानी हो जाती है लोगों को. वायरल का फैशन चल पड़ा है तो कौन सुबह तक इंतज़ार करेगा? सभी समाचार पत्रों के ऑनलाइन एडिशन भी आ गए हैं पर उतने लोकप्रिय नहीं हैं, सभी अब फेसबुक का सहारा लेते हैं. क्या डिजिटल युग का आना ही इसकी लोकप्रियता कम होने का एकमात्र कारण है? न्यूज चैनलों की बाढ़ सी आ गयी है पर आज सच्ची और खोजी पत्रकारिता में गिरावट आ गयी, सभी मीडिया हॉउस राजनितिक घरानों से जुड़े हुए हैं, टीआरपी बढ़ाने की होड़ लगी है, ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा आम है, देश की चिंता कम विज्ञापनों की ज्यादा है. ये कारण भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं. राजनीति और पूंजीवाद से मीडिया की आजादी पर भी खतरा मंडरा रहा. पिछले कुछ वर्षों में मीडिया से जुड़े कई लोगों पर कितने ही आरोप लगे, कुछ जेल भी गए तो कुछ का अब भी ट्रायल चल रहा. आज पत्रकारिता और पत्रकार की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठता है? आखिर हो भी क्यों नहीं? वो जिसे चाहे चोर बना दे, जिसे चाहे हिटलर. कोर्ट का फैसला आता भी नहीं पर मीडिया पहले ही अपना फैसला सुना देता है. किसी का महिमामंडन करने से थकता नहीं तो किसी को गिराने से पीछे हटता नहीं. आज मीडिया का कोई भी माध्यम सच दिखाने से ही डरने लगा है. कहीं आज मीडिया सरकार से तो नहीं डर रहा? खोजी पत्रकारिता का असर कुछ भयानक होने लगा है. आये दिन पत्रकारों पर हमले होने लगे हैं. किसी भी क्षेत्र की त्रुटि और भ्रष्टाचार को सामने लाने से पत्रकारों को जान से हाथ धोने पड़ रहे. पत्रकार अपनी ईमानदारी से समझौता करने को विवश हो रहे. अगर ये सच है तब तो वो दिन दूर नहीं जब हम सच और निष्पक्ष खबरों के लिए तरस जायेंगे. 

लेखक व पत्रकार पुष्पमित्र ने कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का एक स्तम्भ माना गया है और इसकी अपनी महत्ता है क्योंकि यह हमारे चारों ओर मौजूद होता है, अतः यह निश्चित सी बात है की इसका असर समाज के ऊपर भी पड़ेगा. किसी ने भले ही कितने परोपकारी कार्य किये हों और अगर मीडिया चाह ले तो उसकी छवि एक पल में धूमिल कर सकता है. आज यही वास्तविकता है. ब्लैकमेलिंग का ज़माना है, सभी पूर्ण रूप से व्यापारी बन चुके हैं. डिजिटल युग में हर ओर प्रतिस्पर्धा है फलस्वरूप मीडिया को चलाने के लिए खर्चे भी बढ़े हैं. इन खर्चों को पूरा करने के लिए ज्यादातर मीडिया हाउस सरकार, पूंजीपति और बड़ी-बड़ी कंपनियों पर आश्रित हो गए हैं. इन सब पर निर्भर होने से मीडिया की आजादी ही खतरे में आ गई है. नेता, दलालों से गठबंधन, ब्रेकिंग न्यूज़, विज्ञापन और अनेक हथकण्डे अपना मीडिया आज आर्थिक रूप से सक्षम है पर क्या वो अपनी पहचान और वो वजूद कायम रखने में सक्षम है? इसका जवाब आएगा ”नहीं”. सभी लोग, हम, आप और मीडिया बदलाव की बात तो करते हैं लेकिन इनमें कोई भी बदलना नहीं चाहता. सभी एक ही नाव पर सवार हैं पर स्थिति तो डंवाडोल और नाजुक है. जो आम जनता की आवाज़ है वही कराह रहा तो कौन खड़ा होगा समाज को आइना दिखाने के लिए? सरकार और सरकार के कार्यों पर कौन नज़र रखेगा? हमारी और आपकी परेशानियों को सरकार तक कौन पहुंचायेगा? विद्यार्थियों, कामगारों और आम जनता की आवाज कौन बनेगा? अब भी वक़्त है कि हम संभल जायें, चकाचौंध, टीआरपी की दौड़ और पैसों के पीछे न भाग हम निष्पक्ष पत्रकारिता पर ध्यान दें तो शायद लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ खोखला होने से बच जाये. 

क्रम तीन सत्रों में आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन कुलपति डॉक्टर आरकेपी रमन के द्वारा किया गया. वही तीसरे सत्र में सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया. कार्यक्रम के दूसरे सत्र के दौरान वर्तमान स्थिति में पत्रकारिता की विश्वसनीयता एवं चुनौतियां विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में मुख्य रूप से बीएन मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर प्रोफेसर आरकेपी रमन के द्वारा पत्रकारों को संबोधित किया गया तो वहीं वरिष्ठ पत्रकार पूर्व बीबीसी संवाददाता मणिकांत ठाकुर एवं पत्रकार व लेखक पुष्यमित्र ने पत्रकारों को संबोधित किया एवं मौजूदा स्थिति में पत्रकारिता की विश्वसनीयता एवं चुनौतियों पर विशेष रूप से चर्चा करते हुए कहा कि आज के दौर में हमें निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता को बरकरार रखने के लिए हमें पारदर्शिता भी अति आवश्यक है. 


कार्यक्रम के तीसरे सत्र में स्थानीय कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जो काफी सराहनीय रहा. जिसमें तीसरे सत्र में स्वागत नृत्य सरस्वती का संगीत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा प्रोफेसर डॉक्टर हेमा कश्यप के नेतृत्व में किया गया. संगीत शिक्षिका शशि प्रभा जयसवाल सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज सरस्वती वंदना से किया. तनुजा सोनी अपनी दमदार प्रस्तुति दी. राजीव रंजन उर्फ भोला सिंह ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी. धीरेंद्र कुमार निराला ने एक से बढ़कर एक फिल्मी गीतों की प्रस्तुति देकर समा को बाँध दिया. गायक सुनीत साना एवं आशीष कुमार सत्यार्थी मैथिली लोक गीत, सड़क सुरक्षा को लेकर जागरुकता गीत गाया. वहीं जिले में सांस्कृतिक एवं सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली संस्था प्रांगण में स्थित द्वारा संथाली नृत्य एवं शिव तांडव की प्रस्तुति देकर लोगों को दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर किया. विकास कुमार पलटू ने सूफ़ी गीत से माहौल को संगीतमय बना दिया. संतोष राजा ने भोजपुरी लोग गीत से गाकर अपनी हाजिरी लगाई. रौशन कुमार ने फिल्मी गीत गाकर वह वहीं लूटी. कार्यक्रम के अंत में विकास कुमार पलटू सुनीत साना संतोष राजा ने होली गीत गाकर मौजूद लोगों को झूमने पर विवश किया. पैड पर  बाल कृष्ण कुमार, ढोलक पर संतोष साजन, कीबोर्ड पर जय कुमार शर्मा तबला पर अजय पोदार ने संगत किया. मंच संचालन निजी स्कूल के संचालक मानव सिंह एवं संगीत शिक्षिका शशि प्रभा जायसवाल ने संयुक्त रूप से किया.

(नि. सं.)

मधेपुरा में धूमधाम से मना आईरा का सातवां स्थापना दिवस सह प्रांतीय सम्मेलन समारोह मधेपुरा में धूमधाम से मना आईरा का सातवां स्थापना दिवस सह प्रांतीय सम्मेलन समारोह Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 06, 2021 Rating: 5

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