पिछले कुछ अर्से से वे शहर के सीमेंट व सरिया के चर्चित व्यवसायी भी थे और चेंबर ऑफ कॉमर्स से भी जुड़े थे। राजा बाबू की पत्नी कंचन कुमारी के अनुसार 24 जनवरी उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई थी. उपचार हेतु सहरसा ले जाया गया जहां से उन्हें बेहतर चिकित्सा लाभ के लिए पटना रेफर कर दिया गया। 26 जनवरी को पटना के पारस अस्पताल पहुंचते-पहुंचते उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ले ली. इनका पत्रकारिता जीवन लगभग 25 वर्षों का रहा । तीन भाईयों में ये सबसे छोटे थे। राजा बाबू की मृत्यु की खबर सुनते ही उनके चाहने वालों में शोक व्याप्त हो गया है। परिवारवालों में मातमी माहौल कायम है। विनोद कुमार उर्फ राजा बाबू मिलनसार एवं सरल स्वभाव के धनी व्यक्ति थे। राजा बाबू अपने पीछे पत्नी व दो पुत्री और एक पुत्र छोड़ गए हैं. बड़ी पुत्री आस्था राज, जो 12वीं के अंतिम वर्ष की परीक्षा में सम्मिलित हो रही है तथा दूसरी पुत्री निष्ठा राज वर्ग नौ की छात्रा है और एक पुत्र जिसका नाम अर्नब राज है, वर्ग 3 का छात्र है.
राजा बाबू के आकस्मिक निधन पर नपं मुख्य पार्षद श्वेतकमल उर्फ बौआ यादव, नपं पार्षद मनोज यादव, दिनेश मिश्र, विश्वजीत कुमार उर्फ पिंटू यादव, कालेन्द्र यादव, मो चाँद अलि, संजय सुमन, प्रेमकुमार मुन्ना, प्रकाश कुमार गुड्डू, विकास आनंद, रूद्र नारायण यादव, सुरज पंसारी, घनश्याम अग्रवाल, विजय यादव, राजीव जयसवाल, शिवशंकर भगत, संजय भगत, विनय चौधरी, राहुल यादव, टिंकू साह, चंद्रभूषण भगत, राजेश साह सहित पत्रकार संघ सदस्यों ने शोकाकुल परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है।
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