विश्वविद्यालय ने काउंटर साइन करने में 15 दिन से अधिक लगा कर इस घटना को अंजाम दिया था। इस मामले में कॉलेज द्वारा राष्ट्रीय परिषद में अपील दायर करने के बाद पुनः मान्यता जारी करने का आदेश दिया गया है।
दरअसल एन सी इ टी रेगुलेशन 2014 के तहत सभी विभागों में निर्धारित शिक्षकों की संख्या पूर्ण होनी चाहिए। लेकिन पार्वती कॉलेज के बीएड विभाग में दो शिक्षकों का पद रिक्त हो गया था जिसे विहित समय मे भरने का निर्देश दिया गया था। इस पद के लिए निर्धारित अवधि में शिक्षकों की नियुक्ति पार्वती विज्ञान कालेज द्वारा 16 फरवरी 2020 को ही कर ली गई थी और इसकी सूचना एन सी इ टी को देने के लिए मंडल विश्वविद्यालय के कुलसचिव को काउंटर साइन के लिए 17 फरवरी 2020 को ही भेज दिया गया था। लेकिन इसपर कुलसचिव ने 4 मार्च 2020 को हस्ताक्षर किया।इस बीच 29 फरवरी को ही कौंसिल ने अपनी बैठक में मान्यता वापस लेने की घोषणा कर दी। लिहाजा विश्वविद्यालय की इस लेटलतीफी के कारण बीएड के छात्र व शिक्षकों का भविष्य अंधकारमय नज़र आने लगा।
लेकिन इस आदेश के विरुद्ध कालेज के प्रधानाचार्य डॉ राजीव सिन्हा ने एन सी इ टी के मुख्यालय में अपील दायर किया। इस अपील की सुनवाई के बाद 15 सितंबर 2020 को फैसला सुनाते हुए ईस्टर्न रीजनल कमिटी को निर्देश जारी किया गया है कि इस मामले में कॉलेज की कोई गलती नही है और उक्त महाविद्यालय की बीएड की मान्यता पुनः बहाल की जाय।
बीएड की मान्यता पुनः बहाल किये जाने के इस आदेश को देखकर पी एस कॉलेज के छात्रों और शिक्षकों ने हर्ष व्यक्त करते हुए प्रधानाचार्य को धन्यवाद दिया है। शिक्षकों ने प्रधानाचार्य को बुके प्रदान कर कृतज्ञता ज्ञापित किया। छात्रों ने विश्वविद्यालय से भी आग्रह किया है कि अत्यंत आवश्यक कार्यों में भी अकारण विलंब किया जाना छात्र हित के विरुद्ध है। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए तत्पर रहने की जरूरत है। एन सी इ टी में महाविद्यालय का पक्ष प्रो. सतीश कुमार सिंह ने प्रस्तुत किया।

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