बिहार सरकार द्वारा जारी प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों, शिक्षिकाओं, पुस्तकालयाध्यक्षों की सेवा शर्त नियमावली 2020 एक छलावा है. इस सेवा शर्त के लागू होने से शिक्षकों को कुछ भी मिलने वाला नहीं है.
माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव परमेश्वरी यादव प्रमंडलीय, अध्यक्ष रणजीत प्रसाद सिंह, डा. अरुण कुमार यादव प्रांतीय संयुक्त सचिव, कृष्ण कुमार अध्यक्ष जिला मा०शि०संघ मधेपुरा, अजय कुमार सचिव, संतोष कुमार मूल्यांकन परिषद् के सचिव, राजेन्द्र प्रसाद यादव राज्य कार्यकारिणी ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मूल रूप से पुराने शिक्षकों (नियमित) के समान हू-बहू सेवाशर्त में संशोधन कर संशोधित सेवाशर्त लागू करे.
कहा कि ऐच्छिक स्थानान्तरण तो बिल्कुल ही दोषपूर्ण है, पुरुषों को पारस्परिक स्थानान्तरण का शर्त देकर स्थानान्तरण को टांय टांय फिस्स कर दिया है. कहाँ कहाँ पुरुष शिक्षक को खोजते फिरेंगे. माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार द्वारा मांगे गए सुझाव के आलोक में pay label 7 और 8 का प्रस्ताव दिया था, परन्तु 15% या 20% वेतन वृद्धि की अनुशंसा अगले साल 2021 अप्रैल से देने की बात कही गई है जो सर्वथा हास्यास्पद है. क्या अगले साल नीतीश सरकार रहेगी? हाल ही यानि मार्च 2020 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी विधायक और पार्षदों का भत्ता बढ़ाया लेकिन शिक्षकों के वेतन के लिए रूपये नहीं हैं, का बहाना बनाती है. अनुत्पादक मदों में फिजूलखर्च कर वोट बैंक को सुरक्षित करते हैं.
उन्होंने कहा कि सेवाशर्त निर्धारण में RTE, NCTE एवं संविधान तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया गया है. प्रोन्नति, सेवा की निरंतरता अवकाश सभी सेवाशर्त में विसंगतिपूर्ण है.
ये भी कहा कि चुनावी वर्ष में नीतीश कुमार ने शिक्षकों की आत्मा पर गहरी चोट की है. वास्तव में राजनेता कहते हैं कि नीतीश कुमार जन्म से ही कभी सच नहीं बोलते हैं और सबों को ठगने का काम करते हैं, यह सच निकला. 2015 से 2020 तक यह झूठ सेवाशर्त नीतीश के झूठे बक्से में बंद था. असल में चुनाव को देखकर छलावापूर्ण सेवाशर्त का बिल के सभी शिक्षक इनकी कारगुजारियों को जान चुके हैं और इसका जवाब चुनाव में मिलेगा.
माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव परमेश्वरी यादव प्रमंडलीय, अध्यक्ष रणजीत प्रसाद सिंह, डा. अरुण कुमार यादव प्रांतीय संयुक्त सचिव, कृष्ण कुमार अध्यक्ष जिला मा०शि०संघ मधेपुरा, अजय कुमार सचिव, संतोष कुमार मूल्यांकन परिषद् के सचिव, राजेन्द्र प्रसाद यादव राज्य कार्यकारिणी ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मूल रूप से पुराने शिक्षकों (नियमित) के समान हू-बहू सेवाशर्त में संशोधन कर संशोधित सेवाशर्त लागू करे.
कहा कि ऐच्छिक स्थानान्तरण तो बिल्कुल ही दोषपूर्ण है, पुरुषों को पारस्परिक स्थानान्तरण का शर्त देकर स्थानान्तरण को टांय टांय फिस्स कर दिया है. कहाँ कहाँ पुरुष शिक्षक को खोजते फिरेंगे. माध्यमिक शिक्षक संघ ने सरकार द्वारा मांगे गए सुझाव के आलोक में pay label 7 और 8 का प्रस्ताव दिया था, परन्तु 15% या 20% वेतन वृद्धि की अनुशंसा अगले साल 2021 अप्रैल से देने की बात कही गई है जो सर्वथा हास्यास्पद है. क्या अगले साल नीतीश सरकार रहेगी? हाल ही यानि मार्च 2020 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी विधायक और पार्षदों का भत्ता बढ़ाया लेकिन शिक्षकों के वेतन के लिए रूपये नहीं हैं, का बहाना बनाती है. अनुत्पादक मदों में फिजूलखर्च कर वोट बैंक को सुरक्षित करते हैं.
उन्होंने कहा कि सेवाशर्त निर्धारण में RTE, NCTE एवं संविधान तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया गया है. प्रोन्नति, सेवा की निरंतरता अवकाश सभी सेवाशर्त में विसंगतिपूर्ण है.
ये भी कहा कि चुनावी वर्ष में नीतीश कुमार ने शिक्षकों की आत्मा पर गहरी चोट की है. वास्तव में राजनेता कहते हैं कि नीतीश कुमार जन्म से ही कभी सच नहीं बोलते हैं और सबों को ठगने का काम करते हैं, यह सच निकला. 2015 से 2020 तक यह झूठ सेवाशर्त नीतीश के झूठे बक्से में बंद था. असल में चुनाव को देखकर छलावापूर्ण सेवाशर्त का बिल के सभी शिक्षक इनकी कारगुजारियों को जान चुके हैं और इसका जवाब चुनाव में मिलेगा.
(ए. सं.)
'शिक्षकों, शिक्षिकाओं, पुस्तकालयाध्यक्षों की सेवा शर्त नियमावली 2020 एक छलावा': शिक्षक संघ
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 20, 2020
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