ऑनलाइन क्लास से छात्रों में आत्मनिर्भरता एवं आत्मविश्वास बढ़ा है - डा० वन्दना

24 मार्च से 20 मई तक का सफर कई मायने में खास रहा, जहाँ पूरी दूनिया एक वायरस के सामने मानो शक्तिहीन हो गई हो, कई दर्दनाक मंजर देखने को मिल रहे. 

कहीं मौतें, कहीं भूख, रोटी के लाले पड़े हैं, कहीं मजदूरों की असह्य पीड़ा, रोजगार छीन जाने की पीड़ा, फैक्ट्री, इण्डस्ट्री, संस्थान, उद्योग खत्म होने की पीड़ा अर्थात् हर वर्गो की अपनी पीड़ा और सर्वशक्तिमान ईश्वर भी कहीं न कहीं विवश हैं. इंसानों के कृत्य के आगे मानो वो भी विवशता से सब कुछ होता देख रहे परन्तु कुछ संभाल नहीं रहे. इसी बीच जूझते, संघर्ष करते, सिपाही, जवान, नर्स डॉक्टर, सफाई कर्मी, सब्जी वाले, राशन बेचने वाले, सरकारी अफसर, कर्मचारी, दिन-रात योद्वा की तरह लड़ते लोगों की जिंदगियाँ बचाते गाड़ी ड्राइवर सबों की भागीदारी से हम आज सुरक्षित व स्वस्थ हैं. 

इसी बीच निजी विद्यालयों, के शिक्षकों ने सम्पूर्ण कोरोना काल में अभिभावकों की मानसिक पीड़ा को कम करने का काम किया है. उक्त बातों की चर्चा करते हुए मधेपुरा जिला मुख्यालय के हॉली क्रॉस स्कूल मधेपुरा की प्राचार्या डा० वन्दना ने कहा कि ऑनलाइन कक्षा संचालन को पूरे 2 महीने हो गये और निजी शिक्षक अपनी पीड़ा को भूलकर बच्चों को सँवारने में अपना बहूमूल्य योगदान दे रहे हैं, जिसे कोई भी नकार नहीं सकते. जैसा कि हम जानते हैं कि यह online class व्यापक असर छात्रों को नहीं दे सकता परंतु जहाँ कोई विकल्प न हों वहाँ अगर 60 प्रतिशत व्यवस्था से बच्चे लाभान्वित हो रहे हो तो उत्तम है. 

उन्होंने कहा कि हमने Teaching learning process को अन्य मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से अधिक रोचक क्लास बनाया है, इसमें कुछ तकनीकी परेशानियों हुई हैं, जिन्हें हम और आप मिलकर सुदृढ़ कर सकते हैं. हमने बच्चों के क्लास कराये, टेस्ट लिया और अब तक ऑफलाइन से कम समय में ही अधिकतम सिलेबस को समाप्त किया. निश्चित तौर पर हम कह सकते हैं कि work from home strategy से 80 से 90 प्रतिशत सफल रहा क्योंकि ऑनलाइन क्लास बच्चों एवं शिक्षकों के लिए नया अनुभव है. इसमें बच्चों की रूचि अपेक्षाकृत पहले से ज्यादा जगी है, उनकी आत्मनिर्भरता एवं आत्मविश्वास बढ़ा है, संकोच कम हुआ है, वे धड़ल्ले से सवाल पूछ रहे हैं, वो समय पर खुद तैयार है, उन्हें पढ़ने के लिए जिद नहीं करनी पड़ती बल्कि वह खुद प्रतीक्षारत रहते हैं. 

यह सकारात्मक पहलू है. अध्ययन में रूचि शिक्षा के विकास की पहली सीढ़ी कही गई है, वहीं कुछ नकारात्मक पहलू भी है, स्क्रीन पर अधिक देर रहने से आँख पर पड़ने वाले प्रभाव, परन्तु परिस्थति के अनुकूल समझौता करना एवं उन्हें आदतों में परिणत करना जैसे कोरोना से बचाव हेतु कोरोना के साथ जीने जैसी आदत बनाना. 

उन्होंने कहा कि अभिभावगण बहुत गहराई से सोचें और ध्यान दें कि आने वाले और एक या दो महीने छात्रों के लिए विकल्प के तौर पर इसी पैटर्न से पढ़ाई करनी हैं अतः इसे गंभीरता से लेनी चाहिये और जिस प्रकार भोजन इंसान के जिंदा रहने के लिए मूलभूत आवश्यकता है, उसी प्रकार सतत और निरंतर शिक्षा भी छात्रों की मूलभूत आवश्यकता है, जिससे हम उन्हें वंचित कतई नहीं रख सकते. निजी विद्यालय आज के समाज की जरूरत है, यह आपकी जरूरत है तभी विद्यालय स्थापित होता है आप के द्वारा ही संचालित होता है. ऐसी परिस्थिति में शिक्षक का मनोबल बढ़ाये और समाज को विकास की ओर अग्रसर बनायें.
(नि. सं.)
ऑनलाइन क्लास से छात्रों में आत्मनिर्भरता एवं आत्मविश्वास बढ़ा है - डा० वन्दना ऑनलाइन क्लास से छात्रों में आत्मनिर्भरता एवं आत्मविश्वास बढ़ा है - डा० वन्दना Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on May 22, 2020 Rating: 5

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