मधेपुरा के मुरलीगंज में बैंकों के बाहर कड़ी धूप में लोग एक दूसरे से चिपक कर खड़े रहे, बैंकों की ओर से न कोई टोकन व्यवस्था थी जिससे लोग अपने बारी के इंतजार में खड़े रहकर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कर सकें.
कोरोना वायरस कोविड-19 के खात्मे के लिए लगाए लॉकडाउन के बीच लोगों के लिए 14वें दिन के बाद बैंक खुलते ही बैंकों के बाहर भीड़ एकत्र होने लगी. बेशक बैंकों में लेन-देन करने के लिए लोगों को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक का समय दिया गया लेकिन लोग सुबह साढ़े नौ बजे ही बैंकों के बाहर पहुंच गए. सुबह 38 डिग्री के धूप में 11 बजे से पहले लाइनों में लगे लोगों ने सोशल डिस्टेंसिग की खूब धज्जियां उड़ाई.
वहीं दूसरी तरफ, पुलिस पेट्रोलिंग अधिकारियों द्वारा बार-बार बैंकों के बाहर दौरा करके लोगों को समझाया गया कि सोशल डिस्टेंसिग उनके खुद के भले के लिए करवाई जा रही है, जिससे कि कोरोना वायरस की चेन टूट पाए लेकिन पुलिस बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंसिग कायम करने में असफल दिखी. मुख्य रूप से बैंक ऑफ इंडिया के बाहर चिलचिलाती धूप में महिलाएं एवं बुजुर्ग घंटों लाइन में खड़े रहे.
वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सामने लोगों को समझाना बैंकों के सुरक्षा गार्डों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुई. वो लोगों को चाहकर भी समझा नहीं पाए. हर बैंक में लेन-देन करने के लिए और अन्य जरूरी कामों के लिए सुबह साढ़े नौ बजे लोग पहुंच गए. बैंक में ज्यादा भीड़ न हो इसके लिए टोकन व्यवस्था नहीं दिखी, जिससे लोग छांव में बैठकर भी अपने बुलावे के लिए बाहर इंतजार करते रहे. वे न तो आपस में सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते दिखे न ही किन्ही के चेहरे पर मास्क नजर आया. बैंकों के बाहर गोल घेरे देखने को नहीं मिले. वहीं केनरा बैंक के बाहर गोल घेरे तो बने थे पर उसका कोई मायने नहीं था.
कोरोना वायरस कोविड-19 के खात्मे के लिए लगाए लॉकडाउन के बीच लोगों के लिए 14वें दिन के बाद बैंक खुलते ही बैंकों के बाहर भीड़ एकत्र होने लगी. बेशक बैंकों में लेन-देन करने के लिए लोगों को सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक का समय दिया गया लेकिन लोग सुबह साढ़े नौ बजे ही बैंकों के बाहर पहुंच गए. सुबह 38 डिग्री के धूप में 11 बजे से पहले लाइनों में लगे लोगों ने सोशल डिस्टेंसिग की खूब धज्जियां उड़ाई.
वहीं दूसरी तरफ, पुलिस पेट्रोलिंग अधिकारियों द्वारा बार-बार बैंकों के बाहर दौरा करके लोगों को समझाया गया कि सोशल डिस्टेंसिग उनके खुद के भले के लिए करवाई जा रही है, जिससे कि कोरोना वायरस की चेन टूट पाए लेकिन पुलिस बैंकों के बाहर सोशल डिस्टेंसिग कायम करने में असफल दिखी. मुख्य रूप से बैंक ऑफ इंडिया के बाहर चिलचिलाती धूप में महिलाएं एवं बुजुर्ग घंटों लाइन में खड़े रहे.
वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सामने लोगों को समझाना बैंकों के सुरक्षा गार्डों के लिए टेढ़ी खीर साबित हुई. वो लोगों को चाहकर भी समझा नहीं पाए. हर बैंक में लेन-देन करने के लिए और अन्य जरूरी कामों के लिए सुबह साढ़े नौ बजे लोग पहुंच गए. बैंक में ज्यादा भीड़ न हो इसके लिए टोकन व्यवस्था नहीं दिखी, जिससे लोग छांव में बैठकर भी अपने बुलावे के लिए बाहर इंतजार करते रहे. वे न तो आपस में सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते दिखे न ही किन्ही के चेहरे पर मास्क नजर आया. बैंकों के बाहर गोल घेरे देखने को नहीं मिले. वहीं केनरा बैंक के बाहर गोल घेरे तो बने थे पर उसका कोई मायने नहीं था.
बैंको के सीएसपी केंद्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हो रहा पालन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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April 06, 2020
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