मधेपुरा के घैलाढ़ प्रखंड क्षेत्र में जिला प्रशासन की ओर से 9 पंचायतों में 2 पंचायत सरकार भवन और 7 विद्यालय को क्वारेंटाईन सेंटर बनाया गया है जिसमें मात्र तीन सेंटर पर 8 की संख्या में प्रवासी लोग आए हैं.
बाकी सेंटर पर प्रखंड के कर्मी को देखरेख के लिए सेंटर इंचार्ज बनाया गया है, जिन्हें कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रशासन की ओर से कोई सुविधा मुहैया नहीं कराया गया है.
इसी से प्रखंड प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक 1 अप्रैल से 3 अप्रैल तक प्रखंड के 9 क्वारेंटाईन सेंटर में कुल 42 अप्रवासी पहुंचे हैं. शुक्रवार को प्रखंड के 9वों क्वारेंटाईन सेंटर का जायजा लेने पर पाया गया कि कहीं सेंटर पर ताला लटका हुआ था तो कहीं नीचे में सोये मजदूर अपनी बदनसीबी की कहानी मोबाइल पर देखते नजर आए. पूछने पर प्रदेश से आए लोगों ने बताया कि तीन-चार दिन तो रास्ते मे भूखा रहना पड़ा, किसी तरह अपने घर वापस लौटे तो क्वारेंटाईन सेंटर में हम लोगों को शिफ्ट कर दिया गया. खाने की व्यवस्था तो की गई है लेकिन रात भर मच्छर सोने के लिए नहीं दे रहा है.
वहीं पड़ताल से पता चला कि 6 क्वारेंटाईन सेंटर पर अप्रवासी हैं और वहां के जो सेंटर इंचार्ज थे उनके पास सुरक्षा के लिए किट ही मौजूद नहीं थी. सेंटर इंचार्ज का कहना है कि किट नहीं होने की वजह से उन्हें होम क्वारेंटाईन होना पड़ रहा है.
वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि श्रीनगर पंचायत सरकार भवन में तीन और मध्य विद्यालय झिटकिया में 3, दुर्गा उच्च विद्यालय में दो प्रवासी पहुंचे हैं. वहीं दोनों सेंटर पर अप्रवासी ने बताया कि सेंटर पर उनके लिए खाना तो आता है, बेड सिर्फ लगा है लेकिन मछरदानी नहीं है, ना तो पानी की व्यवस्था है और न ही कोरोना से बचाव के लिए कोई व्यवस्था है.
बाकी सेंटर पर प्रखंड के कर्मी को देखरेख के लिए सेंटर इंचार्ज बनाया गया है, जिन्हें कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रशासन की ओर से कोई सुविधा मुहैया नहीं कराया गया है.
इसी से प्रखंड प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ सकता है. मिली जानकारी के मुताबिक 1 अप्रैल से 3 अप्रैल तक प्रखंड के 9 क्वारेंटाईन सेंटर में कुल 42 अप्रवासी पहुंचे हैं. शुक्रवार को प्रखंड के 9वों क्वारेंटाईन सेंटर का जायजा लेने पर पाया गया कि कहीं सेंटर पर ताला लटका हुआ था तो कहीं नीचे में सोये मजदूर अपनी बदनसीबी की कहानी मोबाइल पर देखते नजर आए. पूछने पर प्रदेश से आए लोगों ने बताया कि तीन-चार दिन तो रास्ते मे भूखा रहना पड़ा, किसी तरह अपने घर वापस लौटे तो क्वारेंटाईन सेंटर में हम लोगों को शिफ्ट कर दिया गया. खाने की व्यवस्था तो की गई है लेकिन रात भर मच्छर सोने के लिए नहीं दे रहा है.
वहीं पड़ताल से पता चला कि 6 क्वारेंटाईन सेंटर पर अप्रवासी हैं और वहां के जो सेंटर इंचार्ज थे उनके पास सुरक्षा के लिए किट ही मौजूद नहीं थी. सेंटर इंचार्ज का कहना है कि किट नहीं होने की वजह से उन्हें होम क्वारेंटाईन होना पड़ रहा है.
वहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि श्रीनगर पंचायत सरकार भवन में तीन और मध्य विद्यालय झिटकिया में 3, दुर्गा उच्च विद्यालय में दो प्रवासी पहुंचे हैं. वहीं दोनों सेंटर पर अप्रवासी ने बताया कि सेंटर पर उनके लिए खाना तो आता है, बेड सिर्फ लगा है लेकिन मछरदानी नहीं है, ना तो पानी की व्यवस्था है और न ही कोरोना से बचाव के लिए कोई व्यवस्था है.
क्वारेंटाईन सेंटर में बचाव या बाकी व्यवस्था नाकाफी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 03, 2020
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