
आयुर्वेद तरीके से घर के अन्दर काढ़ा बनाकर खुद भी करते हैं प्रयोग और एक दूसरे को भी पिला कर दे रहे हैं जागरूकता का एक बड़ा संदेश, जिससे आम लोगों में फैलेगी जागरूकता और कोरोना जैसे संक्रामक रोग पर तत्काल लगेगी विराम.
बता दें कि मधेपुरा जिला मुख्यालय स्थित सरकारी क्वार्टर में रह रहे ये हैं पीडब्लूडी के कार्यपालक पदाधिकारी शैलेन्द्र मंडल की पत्नी शीला मंडल, जिन्होंने अपने घर में कोरोना जैसे संक्रामक रोग से लड़ने हेतु खुद की अपनी पुरानी परम्परा के तहत आयुर्वेदिक संसाधनों से लैस काढ़ा का कर रहे हैं प्रयोग और अपने घर आने-जाने वाले सभी अतिथियों को भी चाय के जगह सिर्फ काढ़ा पिला कर कोरोना वायरस से लड़ने का दे रहे हैं जागरूकता का संदेश.
इनकी माने तो ये बच्चे में ही अपनी नानी दादी से सीखकर आयुर्वेदिक काढ़ा का कर रही है प्रयोग, जिससे किसी भी तरह के सर्दी खांसी एंव बुखार से कर सकते है कड़ा मुकाबला. क्या है काढ़ा? और किन-किन चीजों के मिश्रण से बनता है काढ़ा ? सहजन की एक दो टुकड़ी, दो-तीन तुलसी पत्ते, दालचीनी और दो काली मिर्च, तथा अदरख एवं चायपत्ती अगर संभव हो सके तो एक बाकस पत्ता को करीब आधा लीटर पानी में जलाकर लगभग एक पाव रखना है और इसे चाय के रूप में सुबह और शाम खुद भी पियें और आने वाले अपने अतिथियों को भी पिलायें. छू मंतर हो जाएगा संक्रामक रोग. इसके रोजाना इस्तेमाल से आपको मिलेगी संक्रामक रोग से लड़ने की शक्ति.
वहीं शिक्षित गृहणी शीला मंडल के पति शैलेन्द्र मंडल भी बता रहे हैं कि हमारी पुरानी परम्परा आज भी है कायम, हमारी पत्नी अपने नानी दादी से सीखकर किसी भी संक्रामक रोग से लड़ने हेतु बनाए हुए काढ़ा का पूरे परिवार में खुद भी करते हैं प्रयोग और बाहर से आने जाने वाले सभी अतिथियों को चाय के जगह सिर्फ काढ़ा पिलाकर करते हैं स्वागत.

विशेष: खतरनाक कोरोना हो या कोई भी संक्रामक रोग, तत्काल लड़ने की ताकत देता है आयुर्वेदिक काढ़ा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 30, 2020
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