राम के आदर्शों से ही राष्ट्रीय मूल्य का निर्माण होगा तथा सामाजिक चेतना आएगी- प्रो. भारती

बटोही तथा रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय सहरसा के द्वारा देवाधिदेव महादेव की नगरी सिंहेश्वर स्थान के सतोखर पोखर पर वैदेही परिक्रमा महोत्सव का आयोजन किया गया. 

महोत्सव का उद्घाटन फ़िजी में भारत के पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कला विभाग के प्रो. ओम प्रकाश भारती ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रामकथा तथा रामायण से जुड़े कई सांस्कृतिक धरोहर के स्थल बिहार में है. मिथिला की कला, संस्कृति और साहित्य में व्याप्त रामकथा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्रदान करने तथा राम कथा से जुड़े ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने हेतु वैदेही परिक्रमा का आयोजन ऋषि शृंग की तपोस्थली सिंहेश्वर के इस सात पोखर जो अभ्रंश हो सतोखर पर किया जा रहा है. 

आख्यानों के अनुसार यह स्थल विभाण्डक ऋषि के पुत्र ऋषि शृंग का आश्रम है. लोक श्रुति के अनुसार ऋषि शृंग ने इसी सात पोखर पर राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ कराया था. इस आयोजन से देवनगरी सिंहेश्वर अंतर्रास्त्रीय पटल पर तेजी से उभरेगा. आज के संदर्भ में राम कथा की प्रासंगिकता बढ़ गयी है. सीता राम के आदर्शों से ही राष्ट्रीय मूल्य का निर्माण होगा तथा सामाजिक चेतना आएगी.   

परिक्रमा महोत्सव में पश्चिम बंगाल के जलपाई गुड़ी से आए विश्वनाथ ने भवाई साधना नृत्य, झारखंड के कलाकारों ने राम नाट्य, असम के दयाल कृष्ण नाथ ने बोर गीत का गायन तथा संतोष मेहता ने नारदी प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन रंगकर्मी सुभाष चंद्र ने किया. बटोही के सचिव डॉ. महेंद्र कुमार ने बताया कि  22 फरवरी से 2 अप्रैल के बीच बटोही तथा 'रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय' सहरसा द्वारा वैदेही सांस्कृतिक परिक्रमा महोत्सव का आयोजन सीता – राम कथा से जुड़े बिहार के विभिन्न स्थानों पर किया जाएगा. यह परिक्रमा दरभंगा के अहल्या स्थान, मधुबनी के फुलहैर, सीतामढी के पुनौरा धाम, हलेश्वर स्थान और पंथ पाखर, पश्चिम चंपारण के चंकी गढ़ और बाल्मीकी नगर, मुंगेर के सीता कुंड, वैशाली के राम चौरा, बक्सर रामरेखा घाट, भोजपुर के तार, जमुई के गिद्धौर आदि स्थलों से होते हुए पुन: कला ग्राम सहरसा 2 अप्रैल को पहुँचेगी.  परिक्रमा के दौरान सभी स्थलों पर रामकथा से जुड़े कला रूपों की प्रस्तुति होगी. साथ ही मिथिला में 'राम कथा की परम्परा’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की जाएगी. परिक्रमा जत्था के साथ एक विशिष्ट शोध दल होगा, जो लोक जीवन में प्रचलित रामकथा रूपों को संकलित करेगा.

रविवार को सहरसा कला ग्राम में रामकथा पर संगोष्ठी आयोजित कि जायगी. इस शृंखला महोत्सव में भारत, नेपाल तथा श्रीलंका के लगभग दो सौ कलाकार भाग लेंगे. भारत सरकार द्वारा राम कथा और रामायण से जुड़े स्थानों 'रामायण सर्किट' को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की योजनाएं बनायी जा रही है. इसी क्रम में रामायण सर्किट को लोकप्रिय बनाने और पर्यटक के आकर्षण हेतु  सहरसा में द्वारा एक 'रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय' का निर्माण किया जा रहा है. 

इस संग्रहालय में इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, थाईलैंड, श्रीलंका, फिजी, नेपाल, सूरीनाम तथा मॉरीशस से संगृहीत राम कथा से संबंधित कला वस्तुएं प्रदर्शित की जाएगी. साथ ही संग्रहालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर शोध तथा प्रलेखन केंद्र स्थापित भी किया जायेगा. मिथिला सीता की जन्मभूमि है. यहां की लोक परम्पराओं में रामकथा ही व्याप्त हैं. रमखैलिया, लभहैर-कुसहैर, रासधारी तथा मिथिला चित्र राम कथा को अभिव्यक्त करने महत्वपूर्ण कला रूप हैं. इन सभी कला रूपों को संग्रहालय में संरक्षित रखा जाएगा. संग्रहालय का विधिवत उद्घाटन 2 अप्रैल,  2020 को रामनवी के दिन किया जाएगा. 

इस अवसर पर बेगूसराय से हरिशंकर गुप्ता, वैशाली से राकेश कुमार तथा नेपाल से रामकृष्ण श्रेष्ठी तथा स्थानीय अन्य कलाकार भी उपस्थित रहेंगे.
राम के आदर्शों से ही राष्ट्रीय मूल्य का निर्माण होगा तथा सामाजिक चेतना आएगी- प्रो. भारती राम के आदर्शों से ही राष्ट्रीय मूल्य का निर्माण होगा तथा सामाजिक चेतना आएगी- प्रो. भारती Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on February 22, 2020 Rating: 5

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